Sunday, March 26, 2017

बाबू जी


बाबू जी
बाबूजी को प्रणाम आपकी कविता को सलाम
हम तो वही है जो भारत में थे
अपने वतन और ना ही अपनो को भूले है
हम जल्दी ही अपने भारत की धरती पर लौट आयेंगे
हॉ जहॉ सुरभि की महक ने बाँध रखा है
वही यहॉ की आभोहवा में एक नशा है
हमने यहॉ हर त्यौहार मनाये
जन्माष्टमी तीज गणेश चतुर्थी
मंदिर में सब मिल कर गाये भजन
और किये है प्रसाद ग्रहण
इस जगह पर है एक छोटा सा भारत है
जहॉ वह सभी कुछ (भौतिक सुख) है जो भारत में है
हॉ अपने थोड़े दूर जरुर हो गये है
पर जल्दी आप सबसे मिलते है
बस आप सबसे मिलने के इंतजार में
(
कुट्टु)
२२.९.१७


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