Sunday, March 26, 2017

रायपुर से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा


रायपुर से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा

एक साधारण से परिवेश में पली बढ़ी
अति साधारण व्यक्तित्व की धनी
कुछ कर गुज़रने की चाह
औरों से हट कर पहचान बनायी
हर हिंदू रीति रिवाज के अनुसार
मुझे स्नातक की पढ़ाई करायी
२० की उमर में डोली पर बैठायी
अपने इस घर से उस घर पर
सभी ज़िम्मेदारी को निभाई
और दो बच्चों की मॉ का फ़र्ज़ पूरा उठाई
मुझे कुछ करना है कुछ बनना है
पर कही न कही एक कशिश थी
९० के दशक में कम्प्यूटर क्षेत्र एक नया आयाम था
और कम्प्यूटर में मुझे अलग पहचान बनाना था
फिर बच्चों को स्कूल और पति को आफ़िस भेज
ख़ुद को कम्प्यूटर सीखने १५ किलो मीटर जाना
हर काम अकेले करना फिर भी सीखने की ललक ने कभी बाधा नही डाला
पति का इतना सहयोग कि मुझे बिना टोके सेंटर भेजे
बहुत सी अड़चनें आयी पर कोई भी अड़चनें मुझे सीखने से नही रोक पायी
रात को जब सब ख़त्म कर काम फिर मैं पढ़ाई का करती काम
इस तरह धीरे धीरे मैंने सीखाना शुरु किया
एक एजेंसी द्वारा मुझे कम्प्यूटर दिया
यही ख़त्म नही हुई मेरी परेशानी हर बात में लोगों के और रिश्तेदारों के ताने बानो ने मुझे और मज़बूत बनाया
कुछ करना कुछ बनना है इसी सोच ने मुझे यहॉ तक पहुँचाया
कम्प्यूटर तो मिला पर उसे लेकर स्कूल जाना तब रिक्शे में लेकर स्कूल जाती थी और लड़कियों को पढ़ाती थी
फिर घर के एक छोटे से कमरे में १२ लड़कियों का बैच शुरु हुआ
धीरे से एक जगह किराये पर ली और शटर खोलने से लेकर  पढ़ाने सीखाने का काम की
फिर बाल्को के चार स्कूल में पढ़ाने का काम मिला और मैंने यहाँ से कुछ लोगों को रोज़गार दिया
इस तरह मैंने छत्तीसगढ के कोरबा मे रह कर २२ सालों मे लोगों को कम्प्यूटर मे शिक्षित कराया
एक कम्प्यूटर शिक्षित समाज बनाया और छत्तीसगढ का नाम देश के पटल तक पहुँचाया

20.3.16

No comments:

Post a Comment

Visual Basic .Net Programming

 Program 1 Sum of Two Numbers Form Design for Sum of Two Numbers Coding for OK Button Dim a, b, c as integer a=textbox1.text b=textbox2.text...