शहीदों को नमन
होली के दो दिन पहले खेली ख़ूनी रंगो की होली
देश के ग़द्दार है जो धोखे से मारते है गोली
देश के लिये अमर हो गये ये बारह की टोली
जो हँसते हँसते अपने जान की दे दिये क़ुर्बानी
इन शहीदों की वजह से हमने मनायी शुकुन की होली
इन्हें हम नमन करते है और करते श्रद्धांजलि अर्पित
कब आतंकवाद और नक्सलवाद से महफ़ूज़ होगे
और चैन अमन से हम सब रहेंगे
दुनिया शांति का नोबेल पुरुस्कार देती
शांति की बातें करती है पर कहॉ है वह शांति
जगदलपुर से लेकर दक्षिण तक सब तरफ है आतंकवाद
जिस भी दिशा में देखते है प्यार की परिभाषा ही भूले है
ये सब बंद करे और राजनीति से दूर रहे
भाईचारा की बातें करे और नफ़रत को fतलांजलि दे
और यह ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी सच्ची श्रद्धांजलि होगी
१२.३.१७
स्वरचित
साधना शर्मा
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