पवन दीवान
पवन नही ये अांधी है छत्तीसगढ का गांधी हैउन से रुबरू होने का मौक़ा मिला जब वो जेल मंत्री थे
तब मै भोपाल मे क्लास ११ वी में थी
वो धुँधली सी यादें है कि .....
वे सादा जीवन और उच्च विचार रखते थे
मंत्री पद पर भी कोई रुतबा नही दिखाते थे
सादा भोजन और ज़मीन मे ही बिछौना था
न कोई आडम्बर ना ही कोई दिखावा था
हमारे संत पवन दीवान जी एेसे थे....
सरलता उनकी हँसी में थी
उदारता उनकी व्यक्तित्व में था
वाणी में ओजस्व था
और बहुत अच्छे प्रवचन कर्ता थे
हमारे संत पवन दीवान जी एेसे थे....
न जाने वे इस लोक से परलोक में चले गये
पर अपनी अट्टहास हँसी यहॉ छोड़ गये
वे मरे नही अमर हो गये
उनकी सादगी भरी ज़िन्दगी के हम क़ायल हो गये
हमारे संत पवन दीवान जी एेसे थे....
स्वरचित
साधना शर्मा
कोरबा
७.३.१६
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