INTERNET & E-COMMERCE
INTRODUCTION:-
वर्तमान में विश्व में कई प्रकार की सूचना तकनीक विकसित हो रही है परंतु इनमें सर्वाधिक असरदार तकनीक इंटरनेट है। इंटरनेट अलग-अलग भागों या जगहों पर लगे कम्प्यूटर को जोड़कर सूचना की आवाजाही के लिए बनाई गई विशेष प्रणाली है। कम्प्यूटर किसी भी सूचना को चाहे वह शब्दों में हो या ध्वनियों में फोटो में हो या दृश्यो में इसे अपनी अंकीय भाषा में परिवर्तित कर उन्हें इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित कर देते हैं। दुनिया में कहीं भी इंटरनेट के जरियें सूचनाएं भेजी जा सकती है और उनका जवाब पाया जा सकता है। इंटरनेट के प्रयोग के लिए कम्प्यूटर सिस्टम के साथ-साथ टेलीफोन लाइन मोडम तथा उपयुक्त साफ्टवेयर जैसेः- TCP/IP, आदि की आवश्यकता होती है।
संपूर्ण विश्व में स्थित अलग-अलग कम्प्यूटर, LAN तथा VAN को आपस में जोड़ने वाले यंत्र इंटरनेट कहलाता है। इंटरनेट को नेटवर्क का नेटवर्क भी कहा जाता है। इंटरनेट अलग-अलग प्रकार से परिभाषित किया जाता है। जैसेः-
1. उसे फायर आप्टिकल टेलिफोन लाइन या उपग्रह माध्यम से जुड़े कम्प्यूटर का समूह कहते हैं।
2. इस कम्प्यूटर उपयोग के द्वारा विश्व में संदेश व सूचना के आदान-प्रदान का साधन कहते हैं।
3. इसे किसी समस्या के समाधान या निदान या आवश्यकता पड़ने पर संपूर्ण विश्व से सहायता प्राप्त करने का साधन है।
4. इस सूचना या जानकारी को तीव्रगति से संपूर्ण विश्व में वितरित करने का साधन कहते हैं।
5. इसे भविष्य का तकनीक, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव होगी, कहते हैं।
6. इसे समय काटने या समय व्यर्थ करने का साधन भी कहते हैं।
इंटरनेट के संबंध में उपरोक्त समस्या तथ्य सत्य है, लेकिन इनमें से कोई भी पूर्ण नहीं है। आज इंटरनेट का परिदृष्य पूरी तरह से परिवर्तित हो चुका है। इंटरनेट को विज्ञान की प्रगति की सर्वोत्तम मिसाल माना जा रहा है। इसकी परिभाषा निम्न प्रकार हैः-
इंटरनेट एक विश्वव्यापी कम्प्यूटर नेटवर्क पर संग्रहित सूचना वितरित करने तथा विभिन्न कम्प्यूटर उपयोग कर्ताओं के मध्य सहयोग व संपर्क का माध्यम है। जिसके द्वारा बिना किसी धर्म या देश के भेदभाव के सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।
यदि इंटरनेट कनेक्श्न लेना चाहते है तो हमें निम्न वस्तुओं की आवश्यकता होती हैः-
1. मोडम
2. टेलिफोन कनेक्श्न
3. ब्राउसर इंटरनेट एक्सपलोरर क्रोम
4. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर
5. इंटरनेट कनेक्श्न
6. पीसी
1. PC running Microsoft Windows, Netscape Navigator
2. Macintosh:- Z-term, Micro Phone, Kermit.
3. PC with dos- Q Modem, Telemat, Kermit.
Security:- इस बिंदु के अंदर यह देखा जाता है कि ISP किसी यूजर की सूचना को किस हद तक सुरक्षा प्रदान करता है यहां पर सुरक्षा का अर्थ है, कि बिना किसी यूजर की अनुमति के केाई अन्य यूजर उसकी सूचनाओं का प्रयोग न कर सके।
2.
Airtel
3.
Vi
4.
BSNL (Bharat
Sanchar Nigam Limited)
INTERNET Vs INTRANET:-
Protocol:- //Server-Name.domain name
Level domain: port/Directory/File
Name
Example:-
1.
http://www.corporate.com/Ini/alexis/index.html यू आर एल Gopher://gopher.state.edu
2.
Ftp://ftp.xyz.com
प्रत्येक एप्लीकेशन का एक अलग पोर्ट नम्बर होता है। वेब रिसोर्स अलग पोर्ट नम्बर द्वारा एक्सेस होता है। यदि यू आर एल में पोर्ट नम्बर सम्मिलित नहीं है, तो उसे 80 माना जाता है। यू आर एल केस सेंसेटिव होते हैं।
डोमेन नाम :-.इंटरनेट मे डोमेन का नाम का प्रयोग साईट के टेक्स्ट के नाम को हल करके उसके स्थान पर IP पता देना है। डोमेन का नाम का होस्ट का नाम वही होता है जो नेट बायोस (BIOS) कम्प्यूटर के नामकरण का होता है। डोमेन का नाम इंटर एन आई सी द्वारा रिकार्ड किए जाते हैं। इंटर एन आई्र सी इंटानेट पर नाम व पतो की देख रेख करता है। इसके पास एक डिस्ट्रिब्यूटर डेटाबेस होता है। जिसमें सारे पंजीकृत डोमेन नाम होते हैं जब कोई उपभोक्ता कम्प्यूटर के किसी साईट से जुड़ना चाहते हैं तो उसके डोमेन नाम की अनुरोध को कम्प्यूटर श्रृंखला , जो डोमेन नाम सर्वर कहलाती है को भेजी जाती है डोमेन नाम सर्वर सारे विश्व ने हजारों संगठनों में स्थित है डोमेन नाम सर्वर चाहे गए डोमेन नाम के IP का पता देता है और उपभोक्ता की अनुरोध को उचित साईट तक प्रेषित कर दिया जाता है। प्राप्त इंटरनेट नाम व पते में हमारी साईट के पंजीकृत डोमेन नाम की सूचना होती है इस तरह यह कह सकते हैं कि डोमेन नाम इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर को लोकल करने का तरीका है। डोमेन नाम हमेशा अलग-अलग होना चाहिए अर्थात् किन्हीं दो संगठनों का इंटरनेट पर समान डोमेन नाम नहीं हो सकता।
डोमेन नाम में हमेशा दो तत्व रहते हैं, जिन्हें (.) द्वारा अलग-अलग किया जाता है कुछ डोमेन नाम निम्नलिखित हैः-
1.
www.ibm.com
2.
www.nasa.gob
3.
www.utexas.edu
4.
www.tcs.co.in etc.
डोमेन नाम का उच्च स्तर भाग यह परिभाषित करता है कि यह नाम किस प्रकार के संगठन का हैं। उच्च स्तर डोमेन नाम की मुख्य श्रेणियॉं निम्न हैंः-
1. .com :- Commercial
entities
2. .edu:- Educational
3. .net:- Organization
Directory Involved in the Internet Operation
4. .org:- Miscellaneous
Organizations.
5. .gov:- United
States Federal Govt. Entities
6. .mil:- United
States Military
प्रोटोकॉल- प्रोटोकॉल ISP की तरह ही कार्य करता है अर्थात् यह वह साईट होती है जो मनोरंजन तथा सूचना दोनों उपलब्ध कराती है तथा इंटरनेट यूजर को आरंभिक बिंदु प्रदान करती है। प्रोटोकॉल इंटरनेट में जाने का एक नया गेटवे है। आजकल अधिकतर इंटरनेट कम्पनी पोर्टल स्पेस में अपनी जगह बनाने हेतु प्रयास करती है। यह साईट उन यूजर के लिए काफी सहायक है जो पहली बार इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं, पोर्टल की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
ई मेल रू. ई मेल इंटरनेट के द्वारा प्रदान की गई आधारभूत सेवा है, इेटरनेट द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में ई मेल सबसे अधिक लोकप्रिय है। ई मेल इंटरनेट की जीवन तत्व है। ई मेल के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने मित्रों रिश्तेदारों से बातचीत कर सकता है। ई मेल के माध्यम से हमको अन्य इंटरनेट सुविधाओं का प्रयोग कर सकते हैं । आज दुनिया में लगभग 3.20 करोड़ लोग इंटरनेट के माध्यम से ई मेल का प्रयोग करते हैं। ई मेल लिखने पढ़ने एवं भेजने के लिए एक ई मेल प्रोग्राम का प्रयोग करते हैं हम ई मेल को निम्न प्रकार से देख सकते हैंः-
“ ई मेल एक ऐसा सिस्टम है, जिससे एक कम्प्यूटर उपभोक्ता किसी अन्य कम्प्यूटर उपभोक्ता को संदश व सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकता है। इन सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए कम्यूनिकशन नेटवर्क का प्रयोग होता है।”
ई मेल का प्रयोग करने के लिए विभिन्न साफ्टवेयर का प्रयोग में लाए जाते हैं। ई मेल करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि ई मेल भेजने व प्राप्त करने वाले के पास समान कम्प्यूटर हो। ई मेल भेजना, किसी को पत्र भेजने की तरह ही है।
Example:-
1. ernic@m
2. postmaster@internic.net
ई मेल भेजना एवं प्राप्त करना :-
ई मेल भेजना :- ई मेल भेजने के लिए सर्वप्रथम हमारे पास हमारा ई मेल पता तथा भेजने वाले का ई मेल पता होना चाहिये।
चरण :-
1 इंटरनेट एक्सपलोरर पर डबल क्लिक करने के पश्चात् साईट का नाम देकर उसे खोलते हैं।
2 तत्पश्चात् ई मेल विकल्प पर क्लिक करते हैं।
3 यूजर का नाम तथा पासवर्ड देते हैं।
4 कम्पोस बटन पर क्लिक करते हैं।
5 To Box भेजने वाले का ई मेल पता टाईप करते हैं।
6 मैसेज लिखने की जगह पर मैसेज लिखकर send विकल्प में क्लिक करते हैं।
7 मैसेज को भेजते ही स्क्रीन पर एक मैसेज प्रदर्षित होता है। “Message send”
मेल को प्राप्त करना :-
1. अपना ई मेल box Open करने के पश्चात् In box विकल्प पर क्लिक करते हैं हमें यह प्रदर्शित होता है कि हमें कितने मेल आए हैं।
2. इसे क्लिक करते ही भेजने वालों का पते की सूची दिख जाती है।
3. किसी भी मैसेज को क्लिक करते ही उसका विवरण स्क्रिन पर आ जाता है। ई मेल पढ़ने के पश्चात् सूची में से उसका रंग हल्का हो जाता है।
ई मेल प्रोटोकॉल :- मेल सर्वर आने जाने वाली मेल को सम्भालता हैं। प्रोटोकॉल का प्रयोग सूचना को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजने के लिए या कम्प्यूटर नेटवर्क के बीच में सूचना के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। पोस्ट आफिस प्रोटोकॉल सर्वर आने वाली मेल को सुरक्षित करता है जबकि साधारण मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल सर्वर बाहर जाने वाली मेल को भेजता है।
मेल उपभोक्ता आने वाला संदेश प्राप्त करते हैं ओर भेजने वाला संदेश भेजते हैं और हमें संदेश पढ़ने, लिखने, सुरक्षित करने व प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है।
मेलिंग लिस्ट :- मेलिंग लिस्ट एक ऐसा प्रोग्राम है जिसकी मदद से एक ई मेल संदेश को बहुत से लोगों के पास एक साथ भेजा जा सकता है। यदि हम भी संदेश प्राप्त करना चाहते हैं तो उस सूची में स्वयं को जोड़ना होगा । कम्प्यूटर यह ई मेल संदेश सदस्यों की सूची से प्राप्त करता है पहले मेलिंग सूची को ई मेल भेजते है यह एक डायरेक्ट्री के समान होता है, जिसमें विभिन्न ई मेल पते के समूह में उपस्थित रहते हैं मेलिंग सूची में अपना नाम जोड़ने के लिए हमारे पास ई मेल का पता होना जरूरी है। मेलिंग सूची को लिस्टरी भी कहते हैं ।
फ्री ई मेल सर्विस:-कुछ वेब पर आधारित कम्पनीस फ्री ई मेल सेवा प्रदान करती है यदि हमारे पास खुद का ISP नहीं है तब भी हम फ्री ई मेल का प्रयोग कर सकते हैं केवल एक ही कमी होती है कि हमारे ई मेल बाकस में इसके साईट से संबंधित विभिन्न एडवर्टिसमेंट आते रहते है ऐसी कम्पनीस जो फ्री ई मेल सेवा प्रदान करती है, वे निम्न हैः-
1. www.rediffmail.com
2. www.yahoo.com
3. www.hotmail.com
4. www.gmail.com
डेटा ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल वे सारे प्रोटोकाल होते हैं जो कि सूचनाओं, संदेशों को डेटा के रूप मे कम्प्यूटर या नेटवर्क के बीच आदान-प्रदान करने का कार्य करते हैं डेटा ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल कहलाते हैं जो निम्न हैंः-
1 TCP/IP (Transfer Control Protocol/Internet Protocols):- TCP/IP प्रोटोकॉल 1980 में बनाया गया था। इसे TCP/IP स्वीच भी कहते हैं क्योंकि यह कई प्रोटोकॉल से मिलकर बना होता है प्रत्येक प्रोटोकॉल की प्रत्येक परत में एक या एक से अधिक प्रोटोकॉल होते हैं। TCP/IP प्रोटोकॉल को 4 परतों में व्युत्पन प्राप्त किया गया है। यह प्रोटोकॉल किसी भी कम्प्यूटर में इस्तेमाल किया जा सकता है इसका प्रयोग LAN तथा WAN दोनों में होता है।
1 UDP (User Datagram Protocol):- यह यूजर प्रोसेस के लिए संबंधरहित प्रोटोकॉल है। UDP किसी भी प्रकार की गारंटी प्रदान नहीं करता है।
2 ICMP (Internet Control Message Protocol):- इस प्रोटोकॉल का कार्य गेटवे तथा यूजर के बीच आने वाली गलती को संभालना है तथा उनके बीच सूचना के आदान-प्रदान को निश्चित करना है ICMP Message IP Datagram के द्वारा भेजे जाते हैं जो कि TCP/IP नेटवर्क को साफ्टवेयर द्वारा दिए जाते हैं।
3 ARP (Address Resolution Protocol):- यह प्रोटोकॉल इंटरनेट एड्रेसेस को हार्डवेयर मशीन पर मानचित्रित करते हैं। यह प्रोटोकॉल सभी नेटवर्क में प्रयोग नहीं होते हैं।
4 4 RARP (Reverse Address Resolution Protocol):- यह प्रोटोकॉल हार्डवेयर एड्रेसेस को इंटरनेट एड्रेसेस पर मानचित्रित करते हैं। यह भी सभी नेटवर्को में प्रयोग नहीं होते।
1 SMTP (System Mail Transfer Protocol):- यह दो सिस्टम के बीच में मेल के आदान-प्रदान के लिए प्रयोग किया जाता है।
2 XNS (Xerox Network System):- Xerox corporation ने 1970 में अपने आफिस के कम्प्यूटर सिस्टम के लिए बनाया था इसलिए इसे XNS कहते हैं।
3 ECHO (Echo Protocol):- यह एक सरल प्रोटोकॉल है जिसका कार्य उस पैकेट के बारे में बताना है, जो कि मेजबान नें प्राप्त किया है।
4 RIP (Routing Information Protocol):- इसका कार्य रूटिन डेटाबेस को बनाए रखना होता है जो कि उस मेजबान से IDP Packet पैकेट के रूप में दूसरे मेजबान तक भेजे जाएंगे। इसका कार्य उन सभी पैकेट के पाथ के बारे में जानकारी रखना होता है।
5 PEX (Packet Exchange Protocol):- Protocol Use Process प्रोसेस के प्रोटोकॉल के प्रयोग के लिए कनेक्शन रहित प्रोटोकॉल है यह किसी भी प्रकार की गारंटी प्रदान नहीं करता है। यह केवल ट्रांसमिशन करता है, डुप्लीकेट डेटा आने पर उसे खोजने में असमर्थ होता है।
6 SPP (Sequenced Packet Protocol):- यह प्रोटोकॉल उपभोक्ता प्रोसेस के लिए कनेक्शन आधारित प्रोटोकॉल है। यह डेटा को बाईट में भेजता है तथा मैसेज बिेडरी जैसी सुविधाएं प्रदान करता हैं।
7 ERRORP (Error Protocol):- यह प्रोटोकॉल किसी भी प्रोसेस द्वारा प्रयोग किया जाता है। अगर कोई गलती किसी भी प्रोसेस को डेटा ट्रांसमिशन में मिलता है तो वह उस गलती की रिपोर्ट इस प्रोटोकॉल की सहायता से करता है।
8 IDP (Internet Datagram Protocol):- यह कनेक्शन रहित है यह डेटा को डेटाग्राम के रूप में भेजता है यह उपर की सभी परतों को पैकेट को पहुंचाने का कार्य करता है।
CLIENT & SERVER ARCHITECTURE & ITS CHARACTERISTICS
Client/Server Model ;k Architecture ऐसे वातावरण के लिए तैयार किया गया था जहां पर कम्प्यूटर की अधिकता हो वर्क स्टेशन फाईल सर्वर ,प्रटर डाटा सर्वर वेब सर्वर तथा अल्प उपकरण किसी नेटवर्क द्वारा एक साथ जुडे हुए हो।
उदाहरणः- माना कि कई सारे कम्प्यूटर छोटे वर्क स्टेशन से आपस में नेटवर्क के द्वारा एक ऐसे कम्प्यूटर के साथ जुड़े है जिस पर इन सभी कम्प्यूटर की फाईल सेव हो रही है तो ऐसे मॉडल को क्लाइंट सर्वर मॉडल कहते हैं।
इस मॉडल में एक या एक से अधिक क्लाइंट होते हैं तथा सर्वर केवल एक होता है। क्लाइंट अपनी अनुरोध नेटवर्क के द्वारा सर्वर को भेजता है तथा सर्वर उस अनुरोध को पूरा करता है इस तरह का नेटवर्क संसाधन का पूरा प्रयोग करने में मदद करता है। इस मॉडल के द्वारा हम एक या दो प्रिंटर को बहुत बड़े (30-40) कम्प्यूटर वाले नेटवर्क के साथ जोड़ सकते हैं। क्लाइंट मशीन यूजर को सर्वर के साथ काम करने के लिए इंटरफेस प्रदान करती है तथा यूजर क्लाइंट मशीन पर लोकल प्रोग्राम को रन कर सकता है।
Client/Server Architecture के कार्यः-
FTP & Its Usages:- इंटरनेट पर एक कम्प्यूटर सूचना को दूसरे कम्प्यूटर पर भेजने या कॉपी करने के लिए एक सर्विस प्रयोग में लाई जाती है, जिसे FTP (File Transfer Protocol) कहते हैं FTP एक ऐसी सर्विस या टूल है जिसके द्वारा हम फाईल आसानी के साथ जल्दी कॉपी कर सकते हैं। यह तकनीक अधिक प्रभावशाली है यदि हम उस फाईल का नाम डायरक्ट्री का नाम तथा उस कम्प्यूटर के इंटरनेट नाम को जानते तो हम बहुत आसानी के साथ उस फाईल को कापी कर सकते हैं। यह प्रोटोकॉल हमें एक ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिस के द्वारा हम फाईल को आसानी से विभिन्न प्रकार के बहुत सारे कम्प्यूटर से कापी कर सकते हैं। FTP उस समय बनाया गया था जब अधिकतर इंटरनेट यूजर को कम्प्यूटर का प्रयोग करने का तथा इंटरनेट के द्वारा सूचना का आदान-प्रदान करने की जानकारी नहीं थी अतःFTP बहुत ज्यादा यूजर फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान नहीं करता है।
FTP का प्रयोग करके फाईल को एक साईट से दूसरे साईट पर स्थानांतरित कर सकते हैं अपने कम्प्यूटर पर कार्य करते हुए FTP कमांड टाईप करने के पश्चात डोमेन नाम दूसरे सिस्टम या साईट पर टाईप करते हैं यह हमारे और उस साईट के मध्य कनेक्शन संबंध स्थापित कर देते हैं। जिससे हम सुव्यवस्थित तरीके को अपनाकर आसानी से फाइल को कॉपी कर सकते हैं ।Anonymous FTP हमें ऐसी फाईल को कॉपी करने में मदद करता है जो दूसरी साईट पर उपलब्ध होती है जो साईट Anonymous FTP प्रदान करती है उन्हें Anonymous FTP साईट कहते हैं। फाईल के समूह को जो कि उस साईट पर उपलब्ध है FTP Archieves कहते हैं। हम FTP कमांड टाईप करके ंanonymous FTP साईट को एक्सेस कर सकते हैं FTP कमांड के बाद डोमेन नाम उस साईट का पता टाईप करते हैं। एक बार कनेक्शन स्थापित हो जाता है तो हम से यूजर नाम मांगा जाता है यूजर नाम के लिए anonymous टाईप करेंगे इसलिए इसे anonymous FTP कहते हैं।
कम्प्यूटर पर जो FTP प्रोग्राम रन होता है, उसे क्लाइंट कहते हैं तथा रिमोट सिस्टम पर जो FTP प्रोग्राम रन होता है उसे सर्वर कहते हैं। FTP के द्वारा फाईल के स्थानांतरण के लिए हमारे पास उस साईट का यूजर नाम तथा पासवर्ड होना आवश्यक है, अन्यथा हमें anonymous FTP के द्वारा फाईल को ट्रांसफर करना होता है तो FTP का प्रयोग करके हम किसी फाईल को भी प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए हमारे पास उस फाईल का नाम या उसका एक्सटेंशन नाम होना आवश्यक है, जिसे हमें ढूंढना होता है। फाइल प्राप्त होने के पश्चात सर्वर को रिमोट साईट द्वारा प्रतिउत्तर भेजा जाता है आपके द्वारा भेजी गई अनुरोध पूरी हो गई हो।
Telnet Concept:- Telnet एक ऐसा प्रोटोकॉल है जो रिमोट लॉगिन की सुविधा प्रदान करता है। यह क्लाइंट सिस्टम पर यूजर को ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिसके माध्यम से वह रिमोट सिस्टम पर लॉगिन कर सकता है। जब एक लॉगिन हो जाता है तब यूजर के द्वारा भेजी गई अनुरोध या डेटा यूजर प्रोसेस द्वारा सर्वर प्रासेस तक पहुंचता है। Telnet प्रोटोकॉल भी TCP प्रोटोकॉल का प्रयोग करता है इसका स्टैर्ण्ड प्रोग्राम RFC86L (Postal and Reynolds 1983) हैं।
यूजर कम्प्यूटर कनेक्शन स्थापित होता है उसे लोकल कम्प्यूटर कहते हैं तथा जिससे वह मशीन कनेक्ट होती हैं या जो कनेक्शन ग्रहण करती हैं उसे आथितय कम्प्यूटर कहते हैं मेजबान कम्प्यूटर को किसी भी दूसरे कमरे दूसरे शहर या दूसरे देश में रखा जा सकता है।
कनेक्शन के बाद जब यूजर कमॉड टाईप करता है तो thank you commands Remote Control पर Execute होते हैं Telnet के द्वारा विभिन्न स्त्रोत उपलब्ध है जैसेः- Library, cataloges data bases etc.
Remote Logging:- Telnet भी एक प्रोटोकॉल है जो एक कम्प्यूटर को दूसरे कम्प्यूटर से जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है तथा इसका दूसरे कम्प्यूटर पर पूर्ण नियंत्रण होता है इस प्रोसेस को रिमोट लागिन कहते हैं। हम यह कह सकते हैं कि Telnet एक यूजर कमॉड है जो TCP/IP protocol का प्रयोग रिमोट कम्प्यूटर को एक्सेस करने के लिए करता है।
यदि हम Telnet एड्रेस को पोर्ट नम्बर के साथ देते हैं तो यह न केवल हमें रिमोट कम्प्यूटर को एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है। बल्कि हम किसी विशिष्ट प्रोग्राम या सर्वर को भी रिमोट कम्प्यूटर पर ला सकते हैं। प्रोटोकॉल ऐसे नियमों का समूह है जिसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्रोटोकॉल के अंतर्गत् लाइन सेटअप ट्रांसमिशन मोड कोड सेट तथा एरर कंट्रोल आते हैं प्रोटोकॉल का प्रयोग सूचनाओं को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजने के लिए या कम्प्यूटर नेटवर्क के बीच में सूचना के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। प्रोटोकॉल नियमों का समूह होता है जो कि सूचना को आदान-प्रदान को कंट्रोल करता है प्रोटोकॉल सूचना के आवागमन माध्यम के अनुरूप बनाकर उसे एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर उपस्थित प्रोटोकॉल उस सूचना को उसके पुराने फार्मेट में परिवर्तित करके उपलब्ध कराता है।
Terminal Emulation:- Terminal Emulation का अर्थ ऐसे कम्प्यूटर बनाना है जो टर्मिनल के रूप में कार्य कर सके। टर्मिनल Emulation Programm Mainframe कम्प्यूटर को पर्सनल कम्प्यूटर से एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है। टर्मिनल एक ऐसा उपकरण है जो हमें दूसरे कम्प्यूटर से संप्रेषण करने की सुविधा प्रदान करता है सामान्यत टर्मिनल एक कीबोर्ड तथा डिस्प्ले स्क्रीन का मिला जुला रूप है।
Internet Chatting:- Voice Chat, Text Chat. www ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है तथा इस पर बहुतायत में सूचनाओं का भंडार है यह इ्रंटरनेट समवर्ग के लोगों में सीधा संबंध बनाने में सहायक है। इंटरनेट के लिए बींज कमरों की संख्या में वृत्तियों का परिणाम है कि सर्वत्र रूप से मिलना तथा उनसे संदशों का आदान-प्रदान करना आसान हो गया है अगर हम समान रूची वाले लोगों से मिलना चाहे अथवा हम विविध प्रकार के रूचि रखने वाले से मिलना तथा विविध संस्कृति के बारे में जानने के लिए इंटरनेट पर विभिन्न chat room है। इंटरनेट पर नए लोगों से संबंध बनाना सूचनाओं का आदान प्रदान तथा नए सहारा देने वाले ग्रुप से भी मिला जा सकता है। इंटरनेट पर विशेष रूची रखने वाले के लिए भी chat room होते हैं उदाहरणः- यात्रा, मनोरंजन, रूचि आदि यहां पर एक chat room सामाजिकता के लिए होता है उसके आधार पर इसके कई समूह होते हैं chat room को खोजना आसान हो इसके लिए अनुकूल search room पर जाकर chat room अलग chat समवर्ग है। जैसेः- प्रत्येक chat room अपनी संस्कृति, व्यक्ति को बनाता है जो हमेशा chat room को देखते हैं।
Chatting करने के लिए text chat का प्रयोग अधिकतर किया जाता है। इस प्रकार के chat में chatting करने वाले व्यक्ति संदेशों को लिखकर उनका आदान प्रदान करते हैं इस chat में भेजने वाले व्यक्ति का जवाब लालरंग के text में दिखता है। इसकी सहायता से हम से लोगों से एक साथ संदेशों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
Voice chat भी chatting करने का बहुत अच्छा तरीका है। इसमें chatting करने वाले व्यक्ति संदेशों का microphone की सहायता से wave files के रूप में परिवर्तित करके उनका आदान-प्रदान करते हैं। यह Voice chat की सुविधा प्रदान करने वाली साइट तथा प्रोग्राम का कार्य होता है। Voice chat में संदेश सुनाई देते हैं और हम संदेशों को बोल कर प्रसारित करते हैं।
WWW (WORLD WIDE WEB)
इतिहास:- www से पहले इंटरनेट को संचालित करना, सूचनाओं को प्राप्त करना एवं उनका उपयोग करना अत्यंत कठिन था। फाईल को रखा तथा डाउनलोड करने के लिए कुछ यूनिक्स स्किल का सहारा लेना पड़ता है जो कि www के बाद आसान हो गया।
Tim Berner Lee को हम www के पिता के रूप में पहचानते हैं। Berner Switzerland में स्थित यूरोपियन आर्गेनाइजेशन न्यूक्लियर रिसर्च नामक प्रयोग शाला में भौतिक शास्त्री थे। Tim Internet इंटरनेट के संचालन व उसके प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों के कारण निराश हो चुके थे। Tim ने Cern में अपनी खोज साझेदारी तथा अपने साथियों के सभी कम्यूनिकेशन के माध्यम से इंटरनेट पर लगातार कार्य किया Tim पहले से ही समस्या को जानते थे इसलिए उन्होंने कार्य को आसान करने के लिए एवं इंटरनेट को आसानी से संचालित करने के लिए एक सिस्टम का निर्माण किया। सन् 1989 में उन्होंने www सिस्टम के प्रस्ताव को Cern में इलेक्ट्रनिक्स एवं कम्प्यूटिंग विभाग के समक्ष प्रस्तुत किया तथा इस प्रस्ताव पर फीडबैक प्राप्त करने के बाद अपने सहयोगी Robert Calio के साथ इस प्रस्ताव को दुबारा प्रस्तुत किया एवं व्यावसायिक रूप से यह प्रोजेक्ट शुरू हो गया एवं सन् 1991 में इसकी लिस्ट जनता के लिए प्रदान की गई ताकि जनता इंटरनेट पर नए विकास को समझ सके।
कार्यविधि :-. वेब क्लाइंट वेब साफ्टवेयर संरचना को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। वेब क्लाइंट एक प्रोग्राम है जो दस्तावेज के लिए किसी सर्वर पर अपनी अनुरोध भेजता है। वेब सर्वर भी एक प्रोग्राम है जो अनुरोध को प्राप्त करके आगे दस्तावेज का विवरण उपभोक्ता को वापस भेजता है इस संरचना का अर्थ यह है की कोई भी क्लाइंट प्रोग्राम किसी भी सर्वर से जुड़े किसी अन्य कम्प्यूटर पर क्रियांवित हो सकता है। संभवतः दूसरे कमरे व दूसरे देश में सारे प्रोग्रामर अपने अपने कार्यो पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तथा स्वतंत्र रूप से कार्यो को आगे बढ़ाते हैं क्योंकि सर्वर सिर्फ उस समय कार्य करता है जब कोई उपभेक्ता किसी दस्तावेज की मांग करता है। वेब प्रोसेस का कार्य निम्नलिखित हैः-
1 किसी प्रोग्राम पर कार्य करते समय यूजर किसी हायपरलिंक के माध्यम से किसी दूसरे दस्तावेज से जुड़ सकता है।
2 वेब उपभेक्ता किसी हायपरलिंक के माध्यम से किसी पते का प्रयोग करता है जो हमें किसी निश्चित नेटवर्क पर स्थित वेब सर्वर से जोड़ता हो तथा हमें उस दस्तावेज के बारे में बताता है।
3 सर्वर अपनी प्रतिक्रिया किसी टेक्स्ट को भेजकर तथा उस टेक्स्ट में पिक्चर साउंड या मूवी को उपभेक्ता तक भेज कर व्यक्त करता है और यह उपभोक्ता स्क्रीन पर भेजकर व्यक्त करता है। वेब इस तरह के हजारों लेन देन को प्रति घंटा सारे विश्व में क्रियांवित करता है।
वेब ब्राउजर और उसके फ्ंक्शन :-वेब ब्राउजर एक ऐसा प्रोग्राम है जिसका प्रयोग इंटरनेट पर उपलब्ध सारी सुविधायें तथा स्त्रोतों को www के माध्यम से ऐक्सेस करने में किया जाता है। वेब ब्राउजर एक वर्ड वाईड वेब उपभोक्ता एप्लीकशन है। जिसका प्रयोग हायपरटेक्स्ट दस्तावेज तथा वेब पर उपलब्ध अन्य HTML प्रलेखों को लिंक के माध्यम से प्राप्त करने में किया जाता हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि वेब ब्राउजर एक ऐसा प्रोग्राम है जिसके माध्यम से हम www वेब साईट से संपर्क करते है। कुछ प्रचलित वेब ब्राउजर निम्नलिखित हैः-
Function
of Mosaic:-
1. Net Cruiser
2. AOL
3. Net Com
4. Corp user Mosaic
5. A/CSA Mosaic
1. General Search Engine
2. Uniform Mit a Search Engine
3. Multiform
4. Geographical Search Engine
5. Specialized Search Engine
1. www.yahoo.com
2. www.rediff.com
3. www.azc.com
4. www.aa.com
HTML एक ऐसी भाषा है जो वेब पेज बनाने में सहायक होती है अर्थात् इस भाषा का प्रयोग से वेब पेज बनता है। मार्कअप भाषा शब्द किताब छापने वाली इंडस्ट्री से उत्पन्न हुआ है। किसी किताब को छापने से पहले एक कॉपी एडिशन मुख्य स्क्रीप्ट को पढ़ता है व उस पर चिन्ह लगाता है। यह चिन्ह किसी डिजाइनर को यह बताते है कि टेक्स्ट का र्फोमेट का प्रारूप कैसा होना चाहिये। इसी प्रकार किसी वेब पेज पर उपस्थित डेटा ब्राउजर द्वारा आकलित किया जाता है।
HTML एक ऐसी भाषा है जो हायपर टेक्स्ट दस्तावेज के विभिन्न भागों को समझाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य किसी टेक्स्ट की प्रक्रिया को समझाना है।
HTML एक शब्द हायपर टेक्स्ट जुड़ा हुआ है। जिसका अर्थ है यूजर से संबंध या यूजर से बातचीत करना है। वेब का पूरा कार्य या प्रक्रिया हायपर टेक्स्ट पर निर्भर करती है यह साधारण टेक्स्ट की तरह ही होता है। इसे पढ़ा जा सकता है या स्टोर किया जा सकता है। और ढूंढा भी जा सकता है इसमें कुछ जोड़ा भी जा सकता है ओर इसे अन्य टेक्स्ट के साथ लिंक भी किया जा सकता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि HTML साधारण टेक्स्ट को हायपर टेक्स्ट में बदल सकते है।
डिजायन टूल्स:- किसी वेब पेज को बनाने के लिए निम्नलिखित टूल्स की आवश्यकता होती हैः-
1. HTML फाईल को बनाने या सुधारने के लिए एक एडिटिंग प्रोग्राम अर्थात् HTML एडिटर की आवश्यकता होती है।
2. HTML पेज बनाने के तरीके व संबंधित ज्ञान, ईमेज व चित्रों का स्त्रोत ईमेज को चलाने के लिए एक ग्राफिक प्रोग्राम अर्थात् ईमेज एडिटर
HTML एडिटर:- HTML एडिटर एक प्लेटफार्म होता है जहॉं HTML कोड व HTML टैग को व्यक्त किया जाता है कुछ वेब ब्राउजर के बने बनाए HTML एडिटर होते हैं। कुछ HTML एडिटिंग प्रोग्राम अलग से प्रदान किए जाते हैं। कुछ HTML एडिटर निम्न हैंः-
1. फ्रंटपेज एडिटर:-यह एडिटर माईक्रो साफ्ट फ्रंट पेज द्धारा प्रदान किया जाता है इसमें एडिट करने के लिए फाईल मीनू में जा कर नया कमांड या क्लिक करते है इस प्रकार हम एक नया पेज बनाने के एडिटर प्राप्त करते हैं इसे फ्रंट पेज एडिटर कहते हैं ।
2. नेटस्केप नेविगेटरः-यह नेटस्पेस ब्राउजर का भाग है।WYSIWYG html टूल्स के अंदर होता है। इसका प्रयोग इंटरनेट पर पेज बनाने के लिए होता है । इसकी विंडो साधरण विंडो की तरह होती है। परंतु इसमें टूलबार जुडे होते है। एक नया पेज खोलकर टूलबार की सहायता से HTML पेज बनाया जा सकता है।
3. एडोब पेज:- यह एडिटर मैकिनटोश कम्प्यूटर पर HTML पेज बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है इसके नए संस्करण विंडो में भी चलते है।
4. नोटपैड:- यह सबसेे सिम्पल एडिटर है । सामान्यतः इसका प्रयोग HTML document दस्तावेज बनाने के लिए होता है। इसे माईक्रोसाफ्ट नोटपैड कहते हैं। यह HTML कोड लिखने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करता है। कोड लिखने के पश्चात इसे .HTM या .HTML extention की सहायता से क्रियान्वित करते हैं।
5, ईमेज एडिटरः- इस एडिटर का प्रयोग श्रड को सम्भालने के लिए किया जाता है। यह निम्न प्रकार के होते है।
1, एडोब फोटोशाप:- इसकी कीमत लगभग 50 डालर होती है। यह कम्पनी के लिए एक आदर्श एडिटर होता है। इसकी कीमत अधिक है परंतु यह शक्तिशाली है।
2, कोरल फोटोे पेंटः-इसकी कीमत 69 डालर 399 तक की होती है। यह फोटोशॉप का एक अच्छा विकल्प है।
3, माईक्रो ग्राफिक्स:-इसकी कीमत 150 डालर होती है। यह पिक्टोरियल ग्राफिक पैकेज है।
4,पैंटशॉप:- इसकी कीमत 99 डालर होती है।
5, पैंटर क्लासिक और आर्ट डेवलपर:- पैंटर क्लासिक का कीमत 9 डालर होती है। तथा आर्ट डेवलपर की कीमत 490 डालर होती है। यह आर्ट पैंटिग के लिए होता है।
6, विक्टर और बिट मैपः-इसके अंतर्गत 3 एडिटर है।
I Corel Extra
II Weight Design
III
Macro Media Fire Works
वेब साईट के लिये एफ टी पी साफ्टवेयर अपलोड करनाः-
(1) एफ टी पी के द्वारा यूजर दूसरे कम्प्यूटर से इंटरनेट के माध्यम से फाईल को लोड करता है। यूजर अपनी फाईल को भी दूसरे कम्प्यूटर में भेज सकता है।
(2) पब्लिक एफ टी पी साईट को लॉग इन की आवश्यकता होती हैं। तथा उपयोगकर्ता के ईमेल पते की आवश्यकता पासवर्ड के लिए होती है।
(3) हम एफ टी पी सर्वर के कम्प्यूटर को ही एक्सेस कर सकते हैं। इंटरनेट या एफ टी पी साईट की सूची उपलब्ध होती है। इस उपलब्ध सूची में से मनचाही साईट को डाउनलोड कर सकते हैं। साईट को डाउनलोड अकसर संपीडन तकनीकी की आवश्यकता होती है जिससे साईट को छोटा करते हैं। जिससे वह जल्दी डाउनलोड होती है। इस प्रकार एफ टी पी साफ्टवेयर का प्रयोग वेब साईट के लिए होता है।
Issues
in Website Creation and Mainteness %&
1, कुछ तत्व विकास कर्ताओं द्वारा अपने स्वयं के सर्वर पर वेबसाईट होस्ट करते हैं। इसके बजाए जो कम्पनी सर्वर पर स्थान उपलब्ध कराती है। ज्यादा अच्छे ढंग से हार्डवेयर उपलब्ध कराती है। परंतु यह साईट के लिए तत्व विकसित नहीं कराती हैं।
2, यदि होस्ंिटग के लिए स्वयं का कोई उपाय करते है तो साईट के तत्वों पर हमारा नियंत्रण अच्छा होता है।
* * * * *
परिचय:-ई कामर्स एक प्रकार का व्यवसाय व व्यवसायिक वातावरण हैं। जिसमें वस्तु की खरीदी बिक्री व उनके आगमन की सारी सुविधाए व अन्य दूसरी तरह की तकनीक भी शामिल होती हैं। जिनके प्रयोग से कम्पनी अपना व्यवसाय आधुनिकता ढंग से कर सकती है। ई.कार्मस टैली कम्यूनिकेशन और डेटा प्रोसेसिंग में उपयोगी हैं। जिससे व्यवसाय के भागीदारो के बीच लेनदेन की गुणवत्ता को बढाया जाता हैं। ई कामर्स व्यवसाय की कार्य क्षमता में डाटे प्रोसेसिंग व डेटाबेस के संग्रहण के माध्यम से बढोत्तरी करता हैं।ई कामर्स के माध्यम से मजदूरी लागत व पेपर के संग्रहण में कमी आती हैं। यह व्यवसाय को अपने माल की गुणवत्ता तथा सुविधाओ के जरिए अधिक प्रभावशाली बनाता है। ई कामर्स के जरिए उपभोक्ता तथा व्यवसायियों के बीच एक प्रभावशाली कम्यूनिकेशन स्थापित किया जाता है। उपभोक्ता सामान की बिक्री व खरीद किसी भी समय में विश्व के किसी भी स्थान से कर सकता है।
ई कामर्स का एक कम्प्यूटर कम्यूनिकेशन के ऊपर वस्तु की बिक्री तथा उत्पाद तथा सूचनाओ से जुड़ा रहता है। इसके अतिरिक्त ई कामर्स पारंपरिक व्यापार में नई सूचनाओं के आदान प्रदान की गति एवं प्रोत्साहन प्रदान करता है। यह सूचनाएॅं विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों से जुडी रहती है। इस प्रकार ई कामर्स ने व्यवसायो को गति प्रदान की है। यह अन्य साधनो की अपेक्षाकृत सस्ता साधन भी है।
ई कामर्स की उपयोगिता:-
1.उत्पादक क्षमता में वृध्दिः- ई कामर्स के उपयोग से व्यवसाय के लेनदेन में लगने वाला समय मानवीय गलतियों जैसेः-रिकार्ड का अनुलिपि में दुबारा एंटरी न होने से कमी आती है। कार्य की गति व निश्चितता में वृध्दि आती है। इन सब का परिणाम होता है उत्पादक क्षमता में वृध्दि ।
2. लागत में बचत:- खोज के अनुसार इंटरनेट पर व्यापार करने से कुल बिक्री मे 5ः से 10ः तक लागत में बचत होती है। लागत में कभी प्रभावशाली कम्यूनिकेशन तथा मार्केट के नवीनतम अध्ययन से आती है। यह सब ई कामर्स के अध्ययन से ही संभव है।
3.नए व्यवसाय के अवसरः- ई कामर्स के माध्यम से विश्व के अलग -अलग उपभोक्ता एक दूसरे से जुडे रहते है। उनमंे विचारो का आदान प्रदान होता है। नए -नए व्यापारों के अच्छे अवसर बनते है। जिसके द्वारा वह अपने संबंध और अधिक प्रभावशाली बना सकते है।
4.उपभोक्ता की जरूरतो का पूर्वानुमानः- इनके माध्यम से उपभोक्ता अपने सुझाव उत्पादक को तो भेजता ही है। साथ ही उत्पादक को उपभोक्ता की जरूरतो का अनुमान हो जाता है। और वह इसकी जरूरत को ध्यान में रखकर वस्तु निर्माण करता है।
5.अच्छी उपभोक्ता सुविधा:-इसके माध्यम से व्यापार व उपभोक्ता के मध्य एक प्रभावशाली आदान प्रदान बना रहता है। जिससे उपभोक्ता दुनिया में कही भी सामान खरीद व बेच सकता है।
एप्लीकशन :- आजकल अधिकांश वेबसाईट व कम्पनी सीधे मार्केटिंग बिक्री और उनसे जुडी हुई सुविधाओं पर जोर दे रही है। कुछ ऐसी वेबसाईट व कम्पनी निम्नलिखित हैं
Amazn.com
Barnere
hobble
Dell कम्प्यूटर
सीधे मार्केटिंग व बिक्री नेटवर्क को बनााने के लिये निम्नलिखित चरण का अनुसरण किया जाता है
1 एक एच टी एम एल पेज बनाना जिससे उपभोक्ताओं को आपस में एक सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट के जरिए जोड जा सकता हैं।
2 उपभोक्ता की सूचनाओं को संग्रहित करना।
3 उपभोक्ता की सूचनाओं की सुरक्षा।
4 व्यापार के नियमों से उपभोक्ता को परिचित करना।
5 अपने उत्पादों के विज्ञापन और रखरखाव की योग्यता का होना।
6 ऐरर सेलिंग और अप सेलिंग की तकनीक।
7 डेटा को सुरक्षित रखने की सुविधा और उस डेटा के एक्सेस की सुविधा।
8 ट्रेफिक और उपभोक्ताओं के व्यवहार का प्रेक्षण करना।
2. ऑनलाईन बैंकिंग और बिलिंग:- आजकल वित्तिय एवं अन्य सूचना सुविधाओ का विस्तृत क्षेत्र इंटरनेट पर उपलब्ध है। विभिन्न वेबसाईड व्यापारो की बढोत्तरी के लिए उत्साहित किया जा रहा है। यह वेबसाईट बहुत प्रचलित है क्योकि यह वेबसाईट उपभोक्ता को प्रत्येक आकार के व्यवसाय तथा वित्तीय संस्थाओ को हर तरह की मदद व अन्य-अन्य सूचनाये इंटरनेट पर उपलब्ध कराती है। आनलाईन बैंकिंग के जरिए उपभोक्ता तथा छोटे व्यवसाय अपने समय व धन की बचत कर सकते है। बिलांे का भुकतान अपने वित्तीय संस्थाओ को एकाउंट का अपहरण इंटरनेट के जरिए किया जा सकता है।
3. ऑनलाईन के माध्यम से कम्पनी अपने बिलों को प्राप्त व अपने उपभोक्ताओ को इंटरनेट आधारित डिलिवरी भेज सकती है। आजकल उपभोक्ता औसतन (12) बिल एक महीने में ई.मेल के माध्यम से अपनी रिटेलरए कम्पनी से प्राप्त कर सकते है। अधिकांश व्यवसायो में उनकी सूचना ही महत्तपूर्ण संपत्ति होती है। इन सूचनाओ के जरिए व्यवसाय नए-नए मार्केट एक अपनी पहुचॅ बनाते है। व्यवसाय की महत्तपूर्ण सूचनाओ की सुरक्षा के लिए सुविधा प्रदान करती है।
4. व्लयू चैन ट्रडिंग और कोरपोरेट परचेस:- इस प्रोसेस में एक वस्तु के उत्पादक डीलर तथा उपभोक्ता एक चैन के माध्यम से जुडे रहते है। इस प्रक्रिया के निम्न भाग है.
1. उपभोक्ता अपना ऑडर एक नए कम्प्यूटर सिस्टम के लिए डीलर को वेबसाईट के जरिए प्रदान करता है।
2. डीलर ऑडर प्राप्त करता है तथा वह ऑडर स्वतः ही उत्पादक के पास पहुंच जाता हैं ।
3. उत्पादक सप्लायर को माल का ऑडर प्रदान करता है।
4. जहाज अपनी आवागमन क्षमता का आकलन करता है। कि वह निर्धारित समय पर कम्प्यूटर डिलीवरी दे पाएगा या नही।
5. कम्प्यूटर उत्पादक डीलर से ऑडर निश्चित करता है।
6. डीलर पभोक्ता को ऑडर निश्चित प्रदान करता है।
इंटरनेट कारपोरेट खरीद के लिए कम कीमत अच्छा माल तथा माल की मरम्मत एवं रखरखाव की सुविधाए प्रदान करता हैं।
साध्यता:-
ई कामर्स को लागू करने से पहले निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना पडता है।
1. लागत:- किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने के लिए हार्डवेयरए साफ्टवेयरए स्टाफ को ट्रेनिग की आवश्यकता होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि इनको स्थापित करने की लागत कम से कम हो तथा यह आसानी से सफलतापूर्वक कार्य कर सकें।
2. मूल्य :- इसके अन्तर्गत इस बात का ध्यान रखा जाता है कि व्यापारी को उसके द्वारा किए निवेेश के अनुसार प्रतिफल प्राप्त हो रहा है या नही । अतः यह आवश्यक है कि व्यापारी द्वारा किए गए निवेश के हिसाब से उसको प्रतिफल प्राप्त हो।
3. सुरक्षा:-इसके अन्तर्गत किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने का मुख्य उददश्य होता हैं कि किसी उपभोक्ता संबंधी व व्यवसाय संबंधी सुचनाओ को सुरक्षित रखा जाता सके।
4. आंतरिक संचालन:- यदि कोर्इ्र ई कामर्स सिस्टम बिना किसी मानवीय सहायता के प्रलेखो का आदान-प्रदान कर सकता है। तथा ऐसा करने से अगर संस्था की कार्य कुशलता में वृध्दि होती है तो वह ई कामर्स सिस्टम व्यवसाय में लागू करने योग्य है।
बांधाए. सन् 1994 में इलेक्ट्रनिक इनफमशन मैनेजमेंट तथा इलेक्ट्रानिक कामर्स पेनल ने ई कामर्स को अपनाने में निम्नलिखित बाधाएं परिभाषित कीः-
1.व्यापार प्रक्रिया के पुनः उत्थान में परशानी:-किसी व्यापार के प्रक्र्रिया के पुनः उत्थान में देखा जाता है कि यह अनुमानित समय से अधिक आती है क्योकि पुराने हार्डवेयरए साफ्टवेयर अन्य प्रलेख नए मापको को पूरा नही कर पाती है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता व सप्लायर के बीच में प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है।
2.विभिन्न इलेक्ट्रानिक सूचना प्रणाली के प्रयोग में कठिनाईः- विभिन्न इलेक्ट्रनिक सूचना प्रणालियो के कारण किसी उपयोगकर्ता की आशाएं बढ़ जाती हैं। परन्तु वह उसका उपयोग आसानी से नही कर पाता है जिससे व्यापार प्रबंधन में कठिनाइयां उत्पन्न होती है।
3. नेटवर्क में सुरक्षा की कमी:- किसी वितरित नेटवर्क वातावरण में विभिन्न सूचनाओं को सुरक्षित रख पाना बडा मुश्किल कार्य है। इसके कारण ई कामर्स सिस्टम के उपयोग में बडी कठिनाइयों का सामना करना पडता है। कुछ छोटा व मध्यम आकार की कम्पनीयॉ किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने में आने वाली अधिक लागत के कारण भी ई कामर्स सिस्टम स्थापित नही कर पाती है।
ई कामर्स में टेक्नोलॉजी:-
ई कामर्स की परिभाषा में वैसे तो कोई तकनीकियॉ सम्मलित हो सकती हैं जिसमें से निम्न है:-
1 इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज :- किसी कम्प्यूटर में होने वाली व्यापारिक गतिविधियों के बीच संबंध स्थापित करता है। यह विभिन्न व्यापारिक दस्तावेज जैसेकि पर्चेस ऑडरए इनवॉयसए शिपमेंट नोटिस में आदान प्रदान में सहायक होता है। प्रारंभ के दिनो में डेटा एक कम्पनी से दूसरंे कम्पनी में पेपर दस्तावेज के माध्यम से भेजा जाता था। इसे पेपर आधरित कहते थे। इलेक्ट्रानिक डेटा ट्रान्जेक्शन दो कम्पनीयॉ के मध्य इलेक्ट्रानिक लिंक बनाता है। इलेक्ट्रानिक डेटा ट्रान्जेक्शन तकनीक के द्वारा सूचनाएं किसी नेटवर्क के माध्यम से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजी जाती है।
2 बार कोड:- इनका प्रयोग किसी प्रोडक्ट की कम्प्यूटर द्वारा स्वतः पहचान ज्ञात करने के लिए किया जाता है। ये विभिन्न आकार की आयताकार लाईन होती है। जिनकी चौडाई अलग-अलग होती है। इनमें खास बात यह होती है कि आब्जेक्ट को किसी भी सतर पर पहचाना जा सकता है।
3
E-mail
4
Internet
5 World Wide Web
6. प्रोडक्ट डेटा एक्सचेंज:- प्रोडक्ट डेटा का अर्थ उस डेटा से है जिसकी जरूरत किसी प्रोडक्ट को परिभाेिषत करते समय होती है। कभी कभी यह डेटा ग्राफिक के रूप में हो सकता है। दूसरी तरफ यह डेटा कैरेक्टर के रूप में भी हो सकता है। प्रोडक्ट डेटा एक्सचेंज दूसरे प्रकार के व्यवसाय कम्यूनिकेशन से अगल होता है।
7. इलेक्ट्रानिक फार्म:- यह एक ऐसी तकनीक जो पेपर फार्म तथा डीजिटल लाईन बाक्सए चेक बाक्स तथा हस्ताक्षर के लिए जगह उपलब्ध रहती है। किसी यूजर के लिए इलेक्ट्रानिक फार्म एक कागज की फार्म की तरह होता है। अंतर केवल इतना ही होता है कि इलेक्ट्रानिक फार्म कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज के रूप में डिस्प्ले होता है। परन्तु पेपर फार्म कागज के रूप में होता है। आजकल डेटा की सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रानिक फार्म का उपयोग किया जा रहा है। जिससे हम सूचनाएं स्वतः ज्ञात कर सकते है।
इंटरनेट और ई बिजनेस:-
इंटरनेट अलग अलग जगह पर लगे कम्प्यूटर को जोडकर सूचनाओ के आवागमन के लिए बनाई गई एक विशेश प्रणाली है। इंटरनेट व्यापार के कई रास्ते खोल दिए है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने घर से भी व्यापार कर सकता है। इंटरनेट के माध्यम से कोई वयक्ति ऑडर ले सकता है व उपभोक्ता को समय पर माल उपलब्ध करा सकता है। इंटरनेट के माध्यम से होने वाले इस व्यापार को ई व्यापार कहते है। यह पारंपरिक व्यापारो की अपेक्षा कम खर्चीला होता है। क्योकि इसमें इसे उपभोक्ता को बॉटा गया है।
1 बिजनेस टू बिजनेस ई कामर्स :- कोई एक व्यापारिक संगठन किसी दूसरे व्यापारिक संगठन से इंटरनेट के माध्यम से व्यापार करता है तो उसे बिजनेस टू बिजनेस ई कामर्स कहते है।
2 कंज्यूमर टू बिजनेस ई कामर्स :- जब इंटरनेट के माध्यम से किसी व्यापारिक संगठन से व्यापार करता है तो इसे कंज्यूमर टू बिजनेस ई कामर्स कहते है।
3 कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई कामर्स :- इसमेें जब कार्इ्र उपभोक्ता किसी दूसरे उपभोक्ता से सीधे इंटरनेट के माध्यम से संपर्क स्थापित करता है तो इसे कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई कामर्स कहते है।
उदाहरण:-
<head>
<title> First web Page </title>
</head>
<body>
<p> This is My First Web Page </p>
</body>
</html>
उपरोक्त कोडिंग को नोटपैड में पहले टाईप करना चाहिये फिर इसे फाईल नाम के साथ .htm या .html नाम देकर सेव करना चाहिये। सेव करने के बाद इस प्रोग्राम को मीनीमाइज करके डेस्कटॉप पर इंटरनेट एक्सपलोरर को ओपन करके फाईल मीनू में ओपन विकल्प का प्रयोग करके Open> Internet Explorer > html file को सलेक्ट करके open>OK>OK करने के बादclick html page Internet Explorer में दिखाई देने लगेगा।
<b> This
text appears in Bold </b>
<I> This
text appears in Italic </I>
<u> This
text appears in Underline </u>
Web Page with Bold Tag <html>
<head>
<title> Web Page Bold</title>
</head>
<body>
<p><b> This text will appear bold </b>
</p>
</body>
</html>
Example 2 Web Page Italic & Bold <html>
<head>
<title> Web Page Italic & Bold</title>
</head>
<body>
<p><b><I> This text will appear in Bold
& Italic </I></b></p>
</body>
Example 3 Web Page Underline Italic Bold
<html>
<head>
<title> Web Page Underline Italic Bold</title>
</head>
<body>
<p><b><I><u> This text will appear in
Bold, Italic & Underline </u></I></b></p>
</body>
</html>
Example 4 Web Page Horizontal Line
<html>
<head>
<title> Web Page Horizontal Line </title>
</head>
<body>
<p> program to display a horizontal line</p>
<HR SIZE=”5” WIDTH= “50%” COLOR= “RED”>
</body>
</html>
Example 5 Web Page Alignment (Center, Right, Left)
<html>
<head>
<title> Web Page Alignment</title>
</head>
<body>
<p align= “center”> This text is center alignment </p>
<p align= “left”> This text is left alignment</p>
<p align= “right”> This text is right alignment
</p>
<HR>
</body>
</html>
Example 6 Web Page Font Color Size Face
<html>
<head>
<title> Web Page Font Color Size Face</title>
</head>
<body>
<p><font color= “Red” size= “4” face= “Arial black”> Arial black in red color and size 4 </font></p>
<p> <font face= “courier”> courier
</font></p>
<p> <font size= “6” face ="Garamond” >
Garamond black color and size 6 </font></p>
<p><font color= “Blue” size= “2” face= “impact”>
impact in blue and size 2</font></p>
<p><font face= “MS sans serif”> MS sans serif
</font></p>
</body>
</html>
<html>
<head>
<title> Web Page Back Ground Color & Text Color</title>
</head>
<body bgcolor= “gray” text= “black”>
<p> back ground colour is gray & text colour is
black </p>
<HR>
</body>
</html>
Example 8 Web Page Super Script & Sub Script
<html>
<head>
<title> Web Page Super Script & Sub Script </title>
</head>
<body>
<p> this is my 1<sup>st</sup> program using
html</p>
<HR>
<p> H <sub>2</sub> O is the chemical name
for water </p>
<HR>
</body>
</html>
Example 9 Web Page Strike & Pre Tag
<html>
<head>
<title> Web Page Strike & Pre Tag</title>
</head>
<body>
<strike> This text will appear with strike effect
</strike>
<HR>
<Pre> * * * * *
* * * *
* * *
* *
*
</Pre>
<HR>
</body>
</html>
Example 10 Web Page with Heading
<html>
<head>
<title> Web Page with Heading </title>
</head>
<body><center>
<H1> Heading 1 text</p>
</H1>
<H2> Heading 2 text</p>
</H2>
<H3> Heading 3 text
</p> </H3>
<H4> Heading 4 text
</p> </H4>
<H5> Heading 5 text</p>
</H5>
<H6> Heading 6 text</p>
</H6></center>
</body>
</html>
Example 11 Web Page Marquee Text
<html>
<head>
<title>Web Page Marquee Text</title>
</head>
<body>
<Marquee Align = “Bottom” behaviour= “alternation” width=
“50%” bgcolor= “ffff00”> This is Marquee Text </Marquee>
</body>
</html>
<html>
<head>
<title>Web Page Marquee Text Scroll</title>
</head>
<body>
<Marquee Align = “Bottom” behaviour= “Scroll” width=
“100%” height= “50” bgcolor= “ffff00”> This is Marquee Text </Marquee>
</body>
</html>
Example 13 Insert Image (give file name from your directory)
<html>
<head>
<title> Insert Images </title>
</head>
<body>
<p align= “center”>
<font size= “5” face=
“arial”> This program Demostrate how to Insert Images </font>
</p>
<p align= “center”>
<Img src= “c:\win\mlc.jpg”
width=”500” height=”600” alt=”Picture” > </p>
</body>
</html>
Example 14 Invoke hello.html( You write here your system's file name)
<html>
<head>
<title> Invoke hello.html </title>
</head>
<body>
<p> <A href= “hello.html”> Click here to invoke
hello.html</A></p>
</body>
</html>
Example 15 Image Hyperlink ( You write here your system's file name)
<html>
<head>
<title> Image Hyperlink </title>
</head>
<body>
<p align= “center” > click on the Image below
</p>
<p align= “center”> <A href= “hello.html”>
<Img src= “c:\win\forest.bmp” Borders = “0”>
</A></p>
</body>
</html>
Example 16 Applet Hyperlink
<html>
<head>
<title> Applet Hyperlink </title>
</head>
<body>
<A name= “TOP” > </A>
<p> you will know how it works </p>
<p> <strong> This is the TOP part of this documents </strong></p>
<p> <A href= “#BOTTOM”> Go to Bottom
</A></p>
<p> <A href= “#MIDDLE”> Go to Middle
</A></p>
<HR>
<p> To make This work we need to simulate The Document
Being very long by using many break </p>
<br> <br> <br> <br> <br>
<br> <br> <br> <br> <br> <br> <br>
<A name= “#MIDDLE”> </A>
<HR>
<p> <strong> Bottom portion of the document
</strong> </p>
<p> <A href= “#MIDDLE”> Go to Middle </A>
</p>
<p> <A href= “#TOP” > Go to Top </A>
</p>
<HR>
</body>
</html>
Example 17 Adding a TEXT BOX
<html>
<head>
<title> Web Page for Text Box</title>
</head>
<body>
<form> <p> Enter Your Name
<Input Type= “Text” Name= “Emp name” Size= “10” Maxlength=
“10” >
</p>
</form>
</body>
</html> Example 18 Adding a CHECK BOX
<html>
<head>
<title> Check Box </title>
</head>
<form>
<h4>Hobbies</h4>
<p align="left">
<input type="checkbox" name="hobbies">reading books<br>
<input type="checkbox" >listening of music<br>
<input type="checkbox" name="hobbies">writing a books<br>
</form>
</html>
Example 19: Adding a RADIO BUTTON
</html>
<head>
<title>Radio Button </title>
<body>
<form>
<input type="radio" "name="gender" value="male" checked>Male
<br>
<input type="radio" "name="gender" value="female">Female
<br>
<input type="radio" id="C" name="hobby" value="C">C
<br>
<input type="radio" id="C++" name="hobby" value="C++">C++
<br>
</form>
</body>
</html>
Example 20 PULL DOWN MENU
<html>
<head>
<title> Pull Down Menu</title>
</head>
<body>
<form>
<p align= “center”> Pull Down Menu </p>
<Select name= “Course” align= “center”>
<Option Value = “Option 1”> BCA
<Option Value = “Option 2”> BBA
<Option Value = “Option 3”> MBA
<Option Value = “Option 4”> MCA
<Option Value = “Option 5”> MA
</Select>
</form>
</body>
</html>
=============================================
Example 21 Pull Down Menu BCA/PGDCA/DCA with java script
<html lang="en">
<head>
<meta charset="UTF-8">
<meta name="viewport" content="width=device-width, initial-scale=1.0">
<title>Dropdown Example</title>
</head>
<body>
<label for="options">Choose an option:</label>
<select id="options" onchange="print()">
<option value="BCA">BCA</option>
<option value="PGDCA">PGDCA</option>
<option value="DCA">DCA</option>
</select>
<p id="selected">Selected option will be displayed here.</p>
<script>
function print()
{
var selectedValue = document.getElementById("options").value;
document.getElementById("selected").innerText = "You selected: " + selectedValue;
}
</script>
</body>
</html>
Example 22 Table boarder, td(table data), tr(table row), th(table heading)
<html>
<head>
<title> border </title>
</head>
<p align = "center">
<table border = "1">
<tr>
<th> NAME </th>
<th> CLASS </th>
</tr>
<tr>
<td> Surabhi </td>
<td> 12th </td>
</tr>
<tr>
<td> Seema </td>
<td> 11th </td>
</tr>
<tr>
<td> Sita </td>
<td> 11th </td>
</tr>
</table>
</p>
</html>
Example 23 Use of Frame in
Web page:
<html>
<head>
<title> frame page </title>
</head>
<frameset cols= "50%, 50%">
<frame src = "MLC2.html">
<frame src = "MLC3.html">
</frameset>
</html>
<html lang="en">
<head>
<title>Text Area Example</title>
</head>
<body>
<form>
<label for="comments">Comments:</label><br>
<textarea id="comments" name="comments" rows="4" cols="50">
</textarea>
</form>
</body>
</html>
Example 25 Adding a TEXT AREA
<html>
<head>
<title> Text Area </title>
</head>
<body>
<form>
<H1 align= “Center”> <Textarea cols= “50” Rows= “3”
Name= “area1”> This Text can be changed by the User </Text Area>
<br> <br> <br>
<Text Area cols= “50” row= “3” Name= “Arial” Read only>
This is Read only Text and cannot be changed </Textarea>
</form>
</body>
</html>
Example 26 Adding Pull Down Menus.
<html>
<head>
<title> Pull Down Menu </title>
</head>
<body>
<form>
<H1 align= “Center”> Pull Down Menu </H1>
<br>
<p align= “Center”> Select Your Option </p>
<p align= “Center”>
<Select Name= “Menu1”>
<Option>Red
<Option>Blue
<Option>Green
<Option > Yellow
<Option>
</Select> </p>
<p align= “Center”> Default Selection </p>
<p align= “Center”>
<Select Name= “Menu2”>
<Option>Red
<Option>Blue
<Option>Green
<Option Selected>Yellow
<Option>
</Selection>
</p>
</form>
</body>
</html>
Example 27 Unordered List with bullet
<html>
<body>
<ul>
<li>Hardware</li>
<li>Software</li>
</ul>
</body>
</html>
Example 28 Without Number List
<html>
<body>
<dl>
<dt>Hardware</dt>
<dt>Software</dt>
</dl>
</body>
</html>
Example 29 Audio File( You write here your system's file name)
<html>
<body>
<audio controls>
<source src="d:\na na song.ogg" type="audio/ogg">
<source src="d:\na na song.mp3" type="audio/mpeg">
Your browser does not support the audio element.
</audio>
</body>
</html>
Example 30 Working with Table
<html>
PROJECT WORK
NAME : RAM
COURSE : PGDCA/DCA
MO. NO. : 91******00
CODING
<Html>
<Head>
<Title>PURCHASE GST INVOICE SUNDRY CREDITORS</Title>
</Head>
<Body
bgcolor="lightblue">
<b>Specifying
rowspan and colspan attributes ! </b>
<br><br><Br>
<center>
<table
border=1 cellpadding=3 align=center>
<tr>
<TD BGCOLOR="YELLOW"> Bills No </td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW"> Party Name</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">Group</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">Items Name</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">GST Rate</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">Quantity</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">Rate</td>
<TD
BGCOLOR="YELLOW">Remark</td>
<tr
align=center>
<td>1
<td>Raj
Computer State-UP
<td>Computer
Parts
<td>
Mouse
<br>
Keyboard
<br>
USB Hub
<br>
Moniter
<td>
18%
<br>
18%
<br>
18%
<br>
18%
<td>
10pcs
<br>
10pcs
<br>
15 pcs
<br>
8 pcs
<td>
75 rs
<br>
150 rs
<br>
25rs
<br>
4500 rs
<td>
CGST 50%
<br>
SGST 50%
</tr>
<tr
align=center>
<td>2
<td>Sharma
pvt ltd State-UP
<td>Edigble
Items
<td>
Suger
<br>
Oil
<br>
Rice
<br>
Namkeen
<td>
5%
<br>
5%
<br>
5%
<br>
5%
<td>
500 Kg
<br>
80 ltr
<br>
800 Kg
<br>
5 Kg
<td>
40 rs
<br>
90 rs
<br>
45 rs
<br>
90 rs
<td>CGST
50%
<br>
SGST 50%
</tr>
<tr
align=center>
<td>3
<td>XYZ
Electronics State-UP
<td>Electrical
Items
<td>
Fan
<br>
LED Bulb
<br>
Table Fan
<br>
Cooler
<td>
18%
<br>
18%
<br>
18%
<br>
18%
<td>
65 Pcs
<br>
70 Pcs
<br>
14 Pcs
<br>
5Pcs
<td>
120 rs
<br>
85 rs
<br>
250 rs
<br>
2500 rs
<td>CGST
50%
<br>
SGST 50%
</tr>
<tr
align=center>
<td>4
<td>Jain
Stationary State-UP
<td>Stationary
<td>
Note Book
<br>
Pencil
<br>
Writing Pads
<br>
Markers
<td>
18%
<br>
12%
<br>
18%
<br>
12%
<td>
100 Pcs
<br>
150 Pkt
<br>
20 box
<br>
25 Pcs
<td>
25 rs
<br>
4 rs
<br>
25 rs
<br>
30 rs
<td>CGST
50%
<br>
SGST 50%
</tr>
<caption
align=top><br>
<br>Purchase
GST Invoice Sundry Creditors</b></caption>
</Tables>
</Center>
</Body>
</Html>