Tuesday, May 24, 2022

Internet & E-Commerce and HTML Coding

 INTERNET & E-COMMERCE

UNIT-I

INTRODUCTION:-

वर्तमान में विश् में कई प्रकार की सूचना तकनीक विकसित हो रही है परंतु इनमें सर्वाधिक असरदार तकनीक इंटरनेट है। इंटरनेट अलग-अलग भागों या जगहों पर लगे कम्प्यूटर को जोड़कर सूचना की आवाजाही के लिए बनाई गई विशेष प्रणाली है। कम्प्यूटर किसी भी सूचना को चाहे वह शब्दों में हो या ध्वनियों में फोटो में हो या दृश्यो में इसे अपनी अंकीय भाषा में परिवर्तित कर उन्हें इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित कर देते हैं। दुनिया में कहीं भी इंटरनेट के जरियें सूचनाएं भेजी जा सकती है और उनका जवाब पाया जा सकता है। इंटरनेट के प्रयोग के लिए कम्प्यूटर सिस्टम के साथ-साथ टेलीफोन लाइन मोडम तथा उपयुक्त साफ्टवेयर जैसेः- TCP/IP, आदि की आवश्कता होती है। 

संपूर्ण विश् में स्थित अलग-अलग कम्प्यूटर, LAN तथा VAN को आपस में जोड़ने वाले यंत्र इंटरनेट कहलाता है। इंटरनेट को नेटवर्क का नेटवर्क भी कहा जाता है। इंटरनेट अलग-अलग प्रकार से परिभाषित  किया जाता है। जैसेः-

1. उसे फायर आप्टिक टेलिफोन लाइन या उपग्रह माध्यम से जुड़े कम्प्यूटर का समूह कहते हैं।

2. इस कम्प्यूटर उपयोग के द्वारा  विश् में संदे व सूचना के आदान-प्रदान का साधन कहते हैं।

3. इसे किसी समस्या के समाधान या निदान या  आवश्कता  पड़ने पर संपूर्ण  विश् से सहायता प्राप्त करने का साधन है।

4. इस सूचना या जानकारी को तीव्रगति से संपूर्ण  विश् में वितरित करने का साधन कहते हैं।

5. इसे भविष्य का तकनीक, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव होगी, कहते हैं।

6. इसे समय काटने या समय व्यर्थ करने का साधन भी कहते हैं।

इंटरनेट के संबंध में उपरोक्त समस्या तथ्य सत्य है, लेकिन इनमें से कोई भी पूर्ण नहीं है। आज इंटरनेट का परिदृष्य पूरी तरह से परिवर्तित हो चुका है। इंटरनेट को विज्ञान की प्रगति की सर्वोत्तम मिसाल माना जा रहा है। इसकी परिभाषा निम्न प्रकार हैः-

इंटरनेट एक विश्वव्यापी कम्प्यूटर नेटवर्क पर संग्रहित सूचना वितरित करने तथा विभिन्न कम्प्यूटर उपयोग कर्ताओं के मध्य सहयोग व संपर्क का माध्यम है। जिसके द्वारा बिना किसी धर्म या देश के भेदभाव के सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।

यदि इंटरनेट कनेक्श्न लेना चाहते है तो हमें निम्न वस्तुओं की आवश्कता  होती हैः-

1. मोडम 

2.  टेलिफोन कनेक्श्न 

3. ब्राउसर इंटरनेट एक्सपलोरर क्रोम 

4. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर

5. इंटरनेट कनेक्श्न  

6. पीसी

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर 
एक आई एस पी किसी यूजर को इंटरनेट एकाउंट व ई मेल एकाउंट प्रदान करता है अर्थात् ISP वे वेंडर है, जो किसी यूजर को इंटरनेट प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करता है। 
सामान्यतः यह  सर्विस प्रदानकर्ता अपनी सर्विस का मूल्य लेते हैं परंतु कुछ सरकारी या शैक्षणिक संस्थाओं को निःशुल्क  में सर्विस उपलब्ध कराते हैं। ISPNEP (Internet Service Provider Network Entry Point) या POP (Pointer of Presents) के माध्यम से किसी  यूजर को इंटरनेट से जोड़ते हैं  सामान्यतः प्रत्येक यूजर अपने कम्प्यूटर या अपनी कम्पनी में लगे हुए कम्प्यूटर को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना चाहता है।
ISP के माध्यम से इंटरनेट access करने के विभिन्न तरीके निम्न हैंः-
Dedicated Connection  (समर्पित कनेक्श्न)- यह एक लिस्ड लाईन, 56 KBPS या 64 KBPS या एक TL Link 1-544 MBPS को Corporate LAN/WAN  के गेटवे कम्प्यूटर या Router/Bridge  से जोड़ता या कनेक्ट करता है। यह इसे ISP के राउटर के साथ जोड़ता है।
On-Demand Connection: यह एक समर्पित लाइन की तरह ही होता है। लेकिन इसमें यूजर मॉडेम की सहायता से डायल अप करके ISP ;k ISDN  नम्बर डायल करता है।
Dial Up Shell Account :-  इस तरह के कनेक्श्न में एक यूजर कम्प्यूटर की सहायता से एक ISP कम्प्यूटर के साथ कनेक्ट होता है। यूजर को ISP कम्प्यूटर से डेटा मानवीय तरीके से डाउनलोड करना पड़ता है। यूजर X-Modem, Z-Modem ;k Kermit protocol की सहायता से डाउनलोड करता है।
2 सीरियल लाईन इंटरनेट प्रोटोकॉल (Serial Line Internet Protocol(SLIP)) ;k Point To Point (PPP) Account : SLIP/PPP एक ऐसा एकाउंट है कि जब कोई यूजर इंटरनेट कनेक्श्न की मांग करता है, तब उसे SLIP/PPP A/c एकाउंट कहते हैं। यूजर के सारे एप्लीकेशन यूजर के कम्प्यूटर पर रन होती है।
1.Part Time Polled Connection:- यह कनेक्श्न UUCP पर आधारित है और एक यूजर संगठन को E-mail  इत्यादि सुविधाएं  ISP Dial Up कनेक्श्न के द्वारा समय अंतरालों पर प्रदान करती है।
ISP चुनने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहियेः-
Speed:- इंटरनेट कनेक्श्न प्राप्त करते समय ISP द्वारा प्रदान की गई डेटा स्थानांतरण की दर ज्ञात करना एक महत्वपूर्ण बिंदु है अतः अधिकतम गति वाले इंटरनेट कनेक्श्न को लेना चाहिए।
Interface:- इंटरनेट से जुड़े हुए प्रत्येक कम्प्यूटर का इंटरफेस अलग-अलग होता है। प्रत्येक ISP हमारे कम्प्यूटर को एक अलग इंटरफेस प्रदान करता है। जैसेः- Graphical Interface, Menu Driven Interface. अतः इंटरफेस का चुनाव करना यूजर पर निर्भर करता है।
Storage Capacity:- ISP  यूजर को एक निश्चित सीमा तक सूचनाओं को संग्रहित करने की सुविधा प्रदान करता है। अतः ISP का चुनाव करना चाहिए जो हमें अधिक संग्रहण क्षमता प्रदान करता है।
Software:- किसी कम्प्यूटर को किसी अन्य कम्प्यूटर से कनेक्श्न स्थापित करने के लिए कम्यूनिकेशन साफ्टवेयर निम्न हैः-

1.     PC running Microsoft Windows, Netscape Navigator

2.  Macintosh:-  Z-term, Micro Phone, Kermit.

3.     PC with dos- Q Modem, Telemat, Kermit.

Security:- इस बिंदु के अंदर यह देखा जाता है कि ISP किसी यूजर की सूचना को किस हद तक सुरक्षा प्रदान करता है यहां पर सुरक्षा का अर्थ है, कि बिना किसी यूजर की अनुमति के केाई अन्य यूजर उसकी सूचनाओं का प्रयोग न कर सके।

Technical Facilities:- किसी यूजर को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस ISP से वह कनेक्श्न ले रहा है वह किस तरह की तकनीक सुविधाएं ISP द्वारा उपलब्ध कराए गए साफ्टवेयर कुछ तकनीकी सवाल आदि से संबंधित  हो सकती है। भारत में निम्नलिखित कनेक्श्न  हैंः-
1.              Jio 

2.              Airtel

3.              Vi

4.              BSNL (Bharat Sanchar Nigam Limited)

 INTERNET Vs INTRANET:-

यह इंटरनेट वर्क का संक्षिप्त रूप है यह असमान कम्प्यूटर नेटवेयर का एक सेट है जो गेटवे के द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं तथा डेटा ट्रांसफर तथा संदशोa को भेजने वाले कम्प्यूटर के प्रोटोकाल से लक्ष्य कम्प्यूटर के प्रोटोकाल में परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं। यह नेटवर्क तथा गेटवे TCP/IP प्रोटोकाल का उपयोग करते हैं। यह प्रोटोकाल मौलिक रूप से  DARPA (Defence Advanced Research Project Agency) का हिस्सा थे । जो US के रक्षा विभाग द्वारा संचालित थे। इंटरनेट नेटवर्क का नेटवर्क कहलाता है यह TCP/IP का उपयोग करने वाले आपस में जुड़े नेटवर्क का सेट हैं। 
इंटरानेट का प्राइवेट LAN  है। जो इंटरनेट टेकनोलॉजी का उपयोग करती है। यह एक ऐसा नेटवर्क है, जो किसी कम्पनी या संगठनों में सूचनाओं के प्रोसेसिंग के लिए काम आता है। इसका उपयोग दस्तावेज बांटने, साफ्टवेयर बांटने, डेटाबेस एक्सेस करने और टेªनिग में होता है। इसका नाम इंटरानटे इसलिए है क्योंकि यह इंटरनेट से जुड़ी होती है जैसेः- वेबपेज वेब ब्राउजर एफ टी पी साईट ई मेल की एक्सेस को कम्पनी या संगठन के लिए काम में लगाता हैं |
Connectivity:- यदि इंटरनेट से जुड़ना है तो सर्वप्रथम हमें ISP से यूजर का नाम तथा पासवर्ड लेने होते हैं तभी इंटरनेट से जुड़ पाते हैं इंटरनेट से जुड़ने के लिए फोन लाईन को मोडम से जोड़ दिया जाता है इसके पश्चात विंडो डेस्कटॉप पर उपलब्ध कनेक्श्न पर डबल किल्क करते हैं यह प्रोग्राम कम्प्यूटर को ISP सर्विस से जोड़ने का प्रयास करता है। कभी-कभी कनेक्श्न जुड़ने में काफी समय लग जाता है। यदि कनेक्श्न ठीक प्रकार से जुड़ जाता है तब हमें स्क्रिन पर यूजर का नाम तथा पासवर्ड देना होता है इस तरह इंटरनेट से जुड़ पाते हैं और इंटरनेट एक्सपोलरर का उपयोग करके मनचाही साईट खोल सकते हैं।
1 . डायल अप कनेक्श्न:- यह एक ऐसी सर्विस है जिसे टेलिफोन की सुविधा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी प्रदान करती है। इस सर्विस के माध्यम से लोकल क्षेत्र के एक्सचेंज पर स्थित स्वीच के साथ जुड़ जाते हैं इसके लिए उस एक्सचेंज का नम्बर डायल करना पड़ता है जो कि विभिन्न क्षेत्र के एक्सचेंज के लिए भिन्न-भिन्न होता है एक बार कनेक्श्न स्थापित हो जाने पर उपभोक्ता सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। डायल अप सर्विस का प्रयोग टेलिफोन के माध्यम से इंटरनेट  को एक्सेस करने के लिए किया जाता है। डायल अप को स्विचीग सर्विस भी कहते हैं। डायल अप के माध्यम से जो कनेक्श्न स्थापित होता है उसकी बैंड विडथ कम होती है, जो कि 0 से 400 htz होती है।
2. लिस्ड लाईन यह एक ऐसी सर्विस है जो कि उपभोक्ता के लिए पूरी तरह से समर्पित होती है तथा दूसरे उपभोक्ता के साथ हमेशा जुड़ी रहती है। यह कनेक्श्न टेलिफोन नेटवर्क में स्वीच के द्वारा स्थापित होता है। जो उपभोक्ता इस सर्विस को सबस्क्राइब करता है उसे ऐसा महसूस होता है कि उसके लिए एक कनेक्श्न लाईन उसी के कार्य के लिए समर्पित है क्योंकि स्वीच हमेशा बंद रहते हैं अतः कनेक्श्न स्थापित करने के लिए डायलिंग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है लिस्ड लाईन की बैंड विडथ अधिक होती है। अतः उपभोक्ता ज्यादा डेटा को कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेज सकता है लिस्ड लाईन को अधिकतर बड़े-बड़े संगठनों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
3. वेरी स्माल एपरचर टर्मिनल :-  संचार सेटेलाइट की दुनिया में यह एक नया विकास है। यह कम कीमत के माइक्रो स्टेशन होते हैं। जो वेरी स्माल एपरचर टर्मिनल VSAT कहलाते हैं। इन छोटे टर्मिनल में एक मीटर का एंटिना होता है और यह एक वॉट की पावर दे सकते हैं। अप लाईन साधारण तथा 19-2 Kbps  के लिए अच्छा होता है लेकिन डाउन लिंक लगभग 512 Kbps  होता है। ज्यादातर VSAT  सिंटेकस में माइक्रो  स्टेशन में र्प्याप्त ताकत नहीं होती कि वे सीधे एक दूसरे से सेटेलाइट के द्वारा बात कर सके। इसके बजाय एक  स्पेशल ग्राउंड  स्टेशन जिसे हब कहते हैं, जो कि एक उच्च स्तरीय एंटिना के साथ VSAT के  बीच टेªफिक भेजने में आवश्यक होती है। इस तरीके में या तो भेजने वाले के पास या पाने वाले के पास शक्तिशाली एम्पलीफायर के साथ बड़ा एंटिना होता है। आजकल VSAT का प्रयोग काफी अधिक होने लगा है।
यू आर एल यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर :-यू आर एल इंटरनेट पर किसी रिसोर्स फाईल का सही ब्योरा देता है। वेब पेज प्राप्त करने के लिए यूजर को वेब पेज का पता ब्राउजर के पते वाले जगह पर टाईप करना पड़ता है। यू आर एल में अक्षर अंक आदि सम्मिलित रहते हैं। यू आर एल द्वारा किसी विशिष्ट वेब पेज ईमेज या टेक्स्ट फाईल को खोजा जा सकता है।www में उपलब्ध प्रत्येक रिसोर्स का एक अलग यू आर एल होता है। यू आर एल का ढांचा निम्न प्रकार का होता हैः-

Protocol:-  //Server-Name.domain name

Level domain: port/Directory/File Name

Example:-

1.     http://www.corporate.com/Ini/alexis/index.html यू आर एल Gopher://gopher.state.edu

2.     Ftp://ftp.xyz.com

प्रत्येक एप्लीकेशन का एक अलग पोर्ट नम्बर होता है। वेब रिसोर्स अलग पोर्ट नम्बर द्वारा एक्सेस होता है। यदि यू आर एल में पोर्ट नम्बर सम्मिलित नहीं है, तो उसे 80 माना जाता है। यू आर एल के सेंसेटिव होते हैं।

डोमेन नाम :-.इंटरनेट मे डोमेन का नाम का प्रयोग साईट के टेक्स्ट के नाम को हल करके उसके स्थान पर IP  पता देना है। डोमेन का नाम का होस्ट का नाम वही होता है जो नेट बायोस (BIOS)  कम्प्यूटर के नामकरण का होता है। डोमेन का नाम इंटर एन आई सी द्वारा रिकार्ड किए जाते हैं। इंटर एन आई्र सी इंटानेट पर नाम व पतो की देख रेख करता है। इसके पास एक डिस्ट्रिब्यूटर डेटाबेस होता है। जिसमें सारे पंजीकृत डोमेन नाम होते हैं जब कोई उपभोक्ता कम्प्यूटर के किसी साईट से जुड़ना चाहते हैं तो उसके डोमेन नाम की अनुरोध को कम्प्यूटर श्रृंखला , जो डोमेन नाम सर्वर कहलाती है को भेजी जाती है डोमेन नाम सर्वर सारे विश्व ने हजारों संगठनों में स्थित है डोमेन नाम सर्वर चाहे गए डोमेन नाम के IP का पता देता है और उपभोक्ता की अनुरोध को उचित साईट तक प्रेषित कर दिया जाता है। प्राप्त इंटरनेट नाम व पते में हमारी साईट के पंजीकृत डोमेन नाम की सूचना होती है इस तरह यह कह सकते हैं कि डोमेन नाम इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटर को लोकल करने का तरीका है। डोमेन नाम हमेशा अलग-अलग होना चाहिए अर्थात् किन्हीं दो संगठनों का इंटरनेट पर समान डोमेन नाम नहीं हो सकता।

डोमेन नाम में हमेशा दो तत्व रहते हैं, जिन्हें (.) द्वारा अलग-अलग किया जाता है कुछ डोमेन नाम निम्नलिखित हैः-

1.    www.ibm.com

2.    www.nasa.gob

3.    www.utexas.edu

4.    www.tcs.co.in etc.

डोमेन नाम का उच्च स्तर भाग यह परिभाषित करता है कि यह नाम किस प्रकार के संगठन का हैं। उच्च स्तर डोमेन नाम  की मुख्य श्रेणियॉं निम्न हैंः-

1.  .com :- Commercial entities

2.  .edu:- Educational

3.  .net:- Organization Directory Involved in the Internet Operation

4.  .org:- Miscellaneous Organizations.

5.  .gov:- United States Federal Govt. Entities

6.  .mil:- United States Military

प्रोटोकॉल- प्रोटोकॉल ISP की तरह ही कार्य करता है अर्थात् यह वह साईट होती है जो मनोरंजन तथा सूचना दोनों उपलब्ध कराती है तथा इंटरनेट यूजर को आरंभिक बिंदु प्रदान करती है। प्रोटोकॉल इंटरनेट में जाने का एक नया गेटवे  है। आजकल अधिकतर इंटरनेट कम्पनी पोर्टल स्पेस में अपनी जगह बनाने हेतु प्रयास करती है। यह साईट उन यूजर के लिए काफी सहायक है जो पहली बार इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं, पोर्टल की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

ई मेल रू. ई मेल इंटरनेट के द्वारा प्रदान की गई आधारभूत सेवा है, इेटरनेट द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में ई मेल सबसे अधिक लोकप्रिय है। ई मेल इंटरनेट की जीवन तत्व है। ई मेल के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने मित्रों रिश्तेदारों से बातचीत कर सकता है। ई मेल के माध्यम से हमको अन्य इंटरनेट सुविधाओं का प्रयोग कर सकते हैं । आज दुनिया में लगभग 3.20  करोड़ लोग इंटरनेट के माध्यम से ई मेल का प्रयोग करते हैं। ई मेल लिखने पढ़ने एवं भेजने के लिए एक ई मेल प्रोग्राम का प्रयोग करते हैं हम ई मेल को निम्न प्रकार से देख सकते हैंः-


 ई मेल एक ऐसा सिस्टम है, जिससे एक कम्प्यूटर उपभोक्ता  किसी अन्य कम्प्यूटर उपभोक्ता को संदश व सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकता है। इन सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए कम्यूनिकशन नेटवर्क का प्रयोग होता है।

ई मेल का प्रयोग करने के लिए विभिन्न साफ्टवेयर का प्रयोग में लाए जाते हैं। ई मेल करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि ई मेल भेजने व प्राप्त करने वाले के पास समान कम्प्यूटर हो। ई मेल भेजना, किसी को पत्र भेजने की तरह ही है।

पॉप और वेब आधारित ई मेल :- पॉप के माध्यम से सर्वर के द्वारा इजाजत देने पर हम अपना ई मेल सर्वर से टारगेट  पते या अपने पीसी पर प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए POP के माध्यम से हम अपना ई मेल दी गई सूची में से नेटस्केप मैसेंजर पर प्राप्त कर सकते हैं। वेब पर आधारित ई मेल पर हमारे सारे ई मेल  ई मेल एकाउंट में सर्वर पर सुरक्षित हो जाते हैं।
 
गुण :-

1. ई मेल के माध्यम से हम किसी भी व्यक्ति से बहुत जल्दी बातचीत कर सकते हैं। कोई भी ई मेल कुछ सेकेंड में अपनी पते पर पहुंच जाती है।
2. ई मेल अपने मित्रों व रिश्तेदारों से बातचीत करने का बहुत सस्ता तरीका है। ई मेल दूरी पर निर्भर नहीं करता है अर्थात् हम विश्व में कहीं भी किसी व्यक्ति को आसानी से ई मेल कर सकते हैं।
3. ई मेल  भेजते समय कोई भी व्यक्ति या माध्यम अवरोध उत्पन्न नहीं कर सकता है।
4. ई मेल के माध्यम से पत्रए संदेशों के साथ-साथ डेटा फाईल फोटो तथा अन्य दस्तावेज भेज सकते हैं।
5. ई मेल भेजने वाले की ई मेल प्राप्त करने वाले व्यक्ति से किसी तरह का कोई एपाइंटमेंट नहीं लेना पड़ता है।
6. ई मेल संदेशों के खो जाने का डर नहीं होता है।
अवगुण :-
1. चुकि ई मेल एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर सिस्टम को किसी नेटवर्क के माध्यम से भेजा जाता है अतः किसी अन्य व्यक्ति की ई मेल को पढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
2. हम ई मेल के माध्यम से भाषाओं को व्यक्त नहीं कर सकते हैं।
3. ई मेल भेजने वाले व्यक्ति के ई मेल का नकली ई मेल का पता बनाया जा सकता है।
4. कुछ ई मेल सिस्टम में पिक्चर पेज को भेज पाने में असमर्थ होते हैं।
5. कोई भी ई मेल प्राप्त करने वाला ई मेल को रोक नहीं सकता है।

एड्रेसेस:- इंटरनेट पर ई मेल का पता निम्न रूप में  प्रदर्शित  होता है।
Local address@domain name Local address  ई मेल पता का वह भाग है जो प्रयोगकर्ता के लॉग इन नाम को व्यक्त करता है। 
डोमेन नाम किसी कम्प्यूटर का डोमेन नाम होता है जो प्रयोग के लिए ई मेल वहन करता है।

Example:-   

1. ernic@m

2. postmaster@internic.net

ई मेल भेजना एवं प्राप्त करना  :-

ई मेल भेजना :- ई मेल भेजने के लिए सर्वप्रथम हमारे पास हमारा ई मेल पता तथा भेजने वाले का ई मेल पता होना चाहिये।

चरण :-

1 इंटरनेट एक्सपलोरर पर डबल क्लिक करने के पश्चात् साईट का नाम देकर उसे खोलते हैं।

2 तत्पश्चात् ई मेल विकल्प पर क्लिक करते हैं।

3 यूजर का नाम तथा पासवर्ड देते हैं।

4 कम्पोस बटन पर क्लिक करते हैं।

5 To Box  भेजने वाले का ई मेल पता टाईप करते हैं।

6 मैसेज लिखने की जगह पर मैसेज लिखकर  send   विकल्प में क्लिक करते हैं।

7 मैसेज को भेजते ही स्क्रीन पर एक मैसेज प्रदर्षित होता है। “Message send”

मेल को प्राप्त करना :-

1.  अपना ई मेल box Open  करने के पश्चात्  In box  विकल्प पर क्लिक करते हैं हमें यह प्रदर्शित होता है कि हमें कितने मेल आए हैं।

2.  इसे क्लिक करते ही भेजने वालों का पते की सूची दिख जाती है।

3. किसी भी मैसेज को क्लिक करते ही उसका विवरण स्क्रिन पर आ जाता है। ई मेल पढ़ने के पश्चात् सूची में से उसका रंग हल्का हो जाता है।

ई मेल प्रोटोकॉल :- मेल सर्वर आने जाने वाली मेल को सम्भालता हैं। प्रोटोकॉल का प्रयोग सूचना को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजने के लिए या कम्प्यूटर नेटवर्क के बीच में सूचना के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। पोस्ट आफिस प्रोटोकॉल सर्वर आने वाली मेल को सुरक्षित करता है जबकि साधारण मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल सर्वर बाहर जाने वाली मेल को भेजता है।

मेल उपभोक्ता आने वाला संदेश प्राप्त करते हैं ओर भेजने वाला संदेश भेजते हैं और हमें संदेश पढ़ने, लिखने, सुरक्षित करने व प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है।

मेलिंग लिस्ट :- मेलिंग लिस्ट एक ऐसा प्रोग्राम है जिसकी मदद से एक ई मेल संदेश को बहुत से लोगों के पास एक साथ भेजा जा सकता है। यदि हम भी संदेश प्राप्त करना चाहते हैं तो उस सूची में स्वयं को जोड़ना होगा । कम्प्यूटर यह ई मेल संदेश सदस्यों की सूची से प्राप्त करता है पहले मेलिंग सूची को ई मेल भेजते है यह एक डायरेक्ट्री के समान होता है, जिसमें विभिन्न ई मेल पते के समूह में उपस्थित रहते हैं मेलिंग सूची में अपना नाम जोड़ने के लिए हमारे पास ई मेल  का पता होना जरूरी है। मेलिंग सूची को लिस्टरी भी कहते हैं ।

फ्री ई मेल सर्विस:-कुछ वेब पर आधारित कम्पनीस फ्री ई मेल सेवा प्रदान करती है यदि हमारे पास खुद का ISP नहीं है त भी हम फ्री ई मेल का प्रयोग कर सकते हैं केवल एक ही कमी होती है कि हमारे ई मेल बाकस में इसके साईट से संबंधित विभिन्न एडवर्टिसमेंट आते रहते है ऐसी कम्पनीस जो फ्री ई मेल सेवा प्रदान करती है, वे निम्न हैः-

1.     www.rediffmail.com

2.     www.yahoo.com

3.     www.hotmail.com

4.    www.gmail.com

                                                    UNIT-II

                    डेटा ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल

डेटा ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल  वे सारे प्रोटोकाल होते हैं जो कि सूचनाओं, संदेशों को डेटा के रूप मे कम्प्यूटर या नेटवर्क के बीच आदान-प्रदान करने का कार्य करते हैं डेटा ट्रांसमिशन प्रोटोकॉल कहलाते हैं जो निम्न हैंः-

1 TCP/IP (Transfer Control Protocol/Internet Protocols):- TCP/IP प्रोटोकॉल 1980 में बनाया गया था। इसे TCP/IP  स्वीच भी कहते हैं क्योंकि यह कई प्रोटोकॉल से मिलकर बना होता है प्रत्येक प्रोटोकॉल की प्रत्येक परत में एक या एक से अधिक प्रोटोकॉल होते हैं। TCP/IP  प्रोटोकॉल को 4 परतों में व्युत्पन प्राप्त किया गया है। यह प्रोटोकॉल किसी भी कम्प्यूटर में इस्तेमाल किया जा सकता है इसका प्रयोग LAN तथा WAN दोनों में होता है।

1  UDP (User Datagram Protocol):-  यह यूजर प्रोसेस के लिए संबंधरहित प्रोटोकॉल है। UDP किसी भी प्रकार की गारंटी प्रदान नहीं करता है।

2  ICMP (Internet Control Message Protocol):- इस प्रोटोकॉल का कार्य गेटवे तथा यूजर के बीच आने वाली गलती को संभालना है तथा उनके बीच सूचना के आदान-प्रदान को निश्चित करना है  ICMP Message IP Datagram  के द्वारा भेजे जाते हैं जो कि TCP/IP  नेटवर्क को साफ्टवेयर द्वारा दिए जाते हैं।

3 ARP (Address Resolution Protocol):- यह प्रोटोकॉल इंटरनेट एड्रेसेस को हार्डवेयर मशीन पर मानचित्रित करते हैं। यह प्रोटोकॉल सभी नेटवर्क में प्रयोग नहीं होते हैं।

4 RARP (Reverse Address Resolution Protocol):-  यह प्रोटोकॉल हार्डवेयर एड्रेसेस को इंटरनेट एड्रेसेस पर मानचित्रित करते हैं। यह भी सभी नेटवर्को में प्रयोग नहीं होते।

1 SMTP (System Mail Transfer Protocol):-  यह दो सिस्टम के बीच में मेल के आदान-प्रदान के लिए प्रयोग किया जाता है।

XNS (Xerox Network System):- Xerox corporation ने 1970 में अपने आफिस के कम्प्यूटर सिस्टम के लिए बनाया था इसलिए इसे  XNS  कहते हैं।

 ECHO (Echo Protocol):-  यह एक सरल प्रोटोकॉल है जिसका कार्य उस पैकेट के बारे में बताना है, जो कि मेजबान नें  प्राप्त किया है।

4 RIP (Routing Information Protocol):- इसका कार्य रूटिन डेटाबेस को बनाए रखना होता है जो कि उस मेजबान से IDP Packet  पैकेट के रूप में दूसरे मेजबान तक भेजे जाएंगे। इसका कार्य उन सभी पैकेट के पाथ के बारे में जानकारी रखना होता है।

PEX (Packet Exchange Protocol):- Protocol Use Process  प्रोसेस के प्रोटोकॉल के प्रयोग के लिए कनेक्शन   रहित प्रोटोकॉल है यह किसी भी प्रकार की गारंटी प्रदान नहीं करता है। यह केवल ट्रांसमिशन करता है, डुप्लीकेट डेटा आने पर उसे खोजने में असमर्थ होता है।

SPP (Sequenced Packet Protocol):-  यह प्रोटोकॉल उपभोक्ता प्रोसेस के लिए कनेक्शन आधारित प्रोटोकॉल है। यह डेटा को बाईट में भेजता है तथा मैसेज बिेडरी जैसी सुविधाएं प्रदान करता हैं।

 ERRORP (Error Protocol):- यह प्रोटोकॉल किसी भी प्रोसेस द्वारा प्रयोग किया जाता है। अगर कोई गलती किसी भी प्रोसेस को डेटा ट्रांसमिशन में मिलता है तो वह उस गलती की रिपोर्ट इस प्रोटोकॉल की सहायता से करता है।

8  IDP (Internet Datagram Protocol):- यह कनेक्शन   रहित है यह डेटा को डेटाग्राम के रूप में भेजता है यह उपर की सभी परतों को पैकेट को पहुंचाने का कार्य करता है।

CLIENT & SERVER ARCHITECTURE & ITS CHARACTERISTICS  

Client/Server Model ;k Architecture ऐसे वातावरण के लिए तैयार किया गया था जहां पर कम्प्यूटर की अधिकता हो वर्क स्टेशन  फाईल सर्वर ,प्रटर डाटा सर्वर वेब सर्वर तथा अल्प उपकरण किसी नेटवर्क द्वारा एक साथ जुडे हुए हो। 

उदाहरणः- माना कि कई सारे कम्प्यूटर छोटे वर्क  स्टेशन से आपस में नेटवर्क के द्वारा एक ऐसे कम्प्यूटर के साथ जुड़े है जिस पर इन सभी कम्प्यूटर की फाईल सेव हो रही है तो ऐसे मॉडल को क्लाइंट सर्वर मॉडल कहते हैं।

इस मॉडल में एक या एक से अधिक क्लाइंट होते हैं तथा सर्वर केवल एक होता है। क्लाइंट अपनी अनुरोध नेटवर्क के द्वारा सर्वर को भेजता है तथा सर्वर उस अनुरोध को पूरा करता है इस तरह का नेटवर्क संसाधन का पूरा प्रयोग करने में मदद करता है। इस मॉडल के द्वारा हम एक या दो प्रिंटर को बहुत बड़े (30-40) कम्प्यूटर वाले नेटवर्क के साथ जोड़ सकते हैं। क्लाइंट मशीन यूजर को सर्वर के साथ काम करने के लिए इंटरफेस प्रदान करती है तथा यूजर क्लाइंट मशीन पर लोकल प्रोग्राम को रन कर सकता है।

Client/Server Architecture  के कार्यः-

FTP & Its Usages:- इंटरनेट पर एक  कम्प्यूटर सूचना को दूसरे कम्प्यूटर पर भेजने या कॉपी करने के लिए एक सर्विस प्रयोग में लाई जाती है, जिसे FTP (File Transfer Protocol) कहते हैं FTP एक ऐसी सर्विस या टूल है जिसके द्वारा हम फाईल आसानी के साथ जल्दी कॉपी कर सकते हैं। यह तकनीक अधिक प्रभावशाली है यदि हम उस फाईल का नाम डायरक्ट्री का नाम तथा उस कम्प्यूटर के इंटरनेट नाम को जानते तो हम बहुत आसानी के साथ उस फाईल को कापी कर सकते हैं। यह प्रोटोकॉल हमें एक ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिस के द्वारा हम फाईल को आसानी से विभिन्न प्रकार के बहुत सारे कम्प्यूटर से कापी कर सकते हैं। FTP उस समय बनाया गया था जब अधिकतर इंटरनेट यूजर को कम्प्यूटर का प्रयोग करने का तथा इंटरनेट के द्वारा सूचना का आदान-प्रदान करने की जानकारी नहीं थी अतःFTP बहुत ज्यादा यूजर फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान नहीं करता है।

FTP का प्रयोग करके फाईल को एक साईट से दूसरे साईट पर स्थानांतरित कर सकते हैं अपने कम्प्यूटर पर कार्य करते हुए FTP कमांड टाईप करने के पश्चात डोमेन नाम दूसरे सिस्टम या साईट पर टाईप करते हैं यह हमारे और उस साईट के मध्य कनेक्शन संबंध स्थापित कर देते हैं। जिससे हम सुव्यवस्थित तरीके को अपनाकर आसानी से फाइल को कॉपी  कर सकते हैं ।Anonymous FTP  हमें ऐसी फाईल को कॉपी करने में मदद करता है जो दूसरी साईट पर उपलब्ध होती है जो साईट Anonymous FTP  प्रदान करती है उन्हें Anonymous FTP  साईट कहते हैं। फाईल के समूह को जो कि उस साईट पर उपलब्ध है FTP Archieves  कहते हैं। हम FTP कमांड टाईप करके ंanonymous FTP  साईट को एक्सेस कर सकते हैं  FTP  कमांड के बाद डोमेन नाम उस साईट का पता टाईप करते हैं। एक बार कनेक्शन स्थापित हो जाता है तो हम से यूजर नाम मांगा जाता है यूजर नाम के लिए anonymous टाईप करेंगे इसलिए इसे anonymous FTP कहते हैं।

कम्प्यूटर पर जो FTP प्रोग्राम रन होता है, उसे क्लाइंट कहते हैं तथा रिमोट सिस्टम पर जो FTP प्रोग्राम रन होता है उसे सर्वर कहते हैं। FTP के द्वारा फाईल के स्थानांतरण के लिए हमारे पास उस साईट का यूजर नाम तथा पासवर्ड होना आवश्यक है, अन्यथा हमें anonymous FTP  के द्वारा फाईल को ट्रांसफर करना होता है तो FTP का प्रयोग करके हम किसी फाईल को भी प्राप्त कर सकते हैं इसके लिए हमारे पास उस फाईल का नाम या उसका एक्सटेंशन नाम होना आवश्यक है, जिसे हमें ढूंढना होता है। फाइल प्राप्त होने के  पश्चात सर्वर को रिमोट साईट द्वारा प्रतिउत्तर भेजा जाता है आपके द्वारा भेजी गई अनुरोध पूरी हो गई हो।

Telnet Concept:- Telnet एक ऐसा प्रोटोकॉल है जो रिमोट लॉगिन की सुविधा प्रदान करता है। यह क्लाइंट सिस्टम पर यूजर को ऐसी सुविधा प्रदान करता है जिसके माध्यम से वह रिमोट सिस्टम पर लॉगिन कर सकता है। जब एक लॉगिन  हो जाता है तब यूजर के द्वारा भेजी गई अनुरोध या डेटा यूजर प्रोसेस द्वारा सर्वर प्रासेस तक पहुंचता है। Telnet प्रोटोकॉल भी TCP प्रोटोकॉल का प्रयोग करता है इसका स्टैर्ण्ड प्रोग्राम RFC86L (Postal and Reynolds 1983)  हैं।

यूजर कम्प्यूटर कनेक्शन  स्थापित होता है उसे लोकल कम्प्यूटर कहते हैं तथा जिससे वह  मशीन कनेक्ट होती हैं या जो  कनेक्शन ग्रहण करती हैं उसे आथितय कम्प्यूटर कहते हैं मेजबान कम्प्यूटर को किसी भी दूसरे कमरे दूसरे शहर या दूसरे देश में रखा जा सकता है।

कनेक्शन  के बाद जब यूजर कमॉड टाईप करता है तो thank you commands Remote Control  पर Execute होते हैं Telnet  के द्वारा विभिन्न स्त्रोत उपलब्ध है जैसेः-  Library, cataloges data bases etc.

Remote Logging:- Telnet भी एक प्रोटोकॉल है जो एक कम्प्यूटर को दूसरे कम्प्यूटर से जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है तथा इसका दूसरे कम्प्यूटर पर पूर्ण नियंत्रण होता है इस प्रोसेस को रिमोट लागिन कहते हैं। हम यह कह सकते हैं कि Telnet एक यूजर कमॉड है जो TCP/IP protocol  का प्रयोग रिमोट कम्प्यूटर को एक्सेस करने के लिए करता है।

यदि हम  Telnet एड्रेस को पोर्ट नम्बर के साथ देते हैं तो यह न केवल हमें रिमोट कम्प्यूटर को एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है। बल्कि हम किसी विशिष्ट प्रोग्राम या सर्वर को भी रिमोट कम्प्यूटर पर ला सकते हैं। प्रोटोकॉल ऐसे नियमों का समूह है जिसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्रोटोकॉल के अंतर्गत् लाइन सेटअप ट्रांसमिशन मोड कोड सेट तथा एरर कंट्रोल आते हैं प्रोटोकॉल का प्रयोग सूचनाओं को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजने के लिए या कम्प्यूटर नेटवर्क के बीच में सूचना के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। प्रोटोकॉल नियमों का समूह होता है जो कि सूचना को आदान-प्रदान को कंट्रोल करता है प्रोटोकॉल सूचना के आवागमन माध्यम के अनुरूप बनाकर उसे एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर उपस्थित प्रोटोकॉल उस सूचना को उसके पुराने फार्मेट में परिवर्तित करके उपलब्ध कराता है।

Terminal Emulation:- Terminal Emulation का अर्थ ऐसे कम्प्यूटर बनाना है जो टर्मिनल के रूप में कार्य कर सके। टर्मिनल Emulation Programm Mainframe  कम्प्यूटर को पर्सनल कम्प्यूटर से एक्सेस करने की अनुमति प्रदान करता है। टर्मिनल एक ऐसा उपकरण है जो हमें दूसरे कम्प्यूटर से संप्रेषण करने की सुविधा प्रदान करता है सामान्यत टर्मिनल एक  कीबोर्ड तथा डिस्प्ले स्क्रीन का मिला जुला रूप है।

Internet Chatting:- Voice Chat, Text Chat. www ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है तथा इस पर बहुतायत में सूचनाओं का भंडार है यह इ्रंटरनेट समवर्ग के लोगों में सीधा संबंध बनाने में सहायक है। इंटरनेट के लिए बींज कमरों की संख्या में वृत्तियों का परिणाम है कि सर्वत्र रूप से मिलना तथा उनसे संदशों का आदान-प्रदान करना आसान हो गया है अगर हम समान रूची वाले लोगों से मिलना चाहे अथवा हम विविध प्रकार के रूचि रखने वाले से मिलना तथा विविध संस्कृति के बारे में जानने के लिए इंटरनेट पर विभिन्न chat room  है। इंटरनेट पर नए लोगों से संबंध बनाना सूचनाओं का आदान प्रदान तथा नए सहारा देने वाले ग्रुप से भी मिला जा सकता है। इंटरनेट पर विशेष रूची रखने वाले के लिए भी chat room  होते हैं उदाहरणः- यात्रा, मनोरंजन, रूचि आदि यहां पर एक chat room  सामाजिकता के लिए होता है उसके आधार पर इसके कई समूह होते हैं chat room  को खोजना आसान हो इसके लिए अनुकूल search room   पर जाकर chat room अलग chat समवर्ग है। जैसेः- प्रत्येक chat room  अपनी संस्कृति, व्यक्ति को बनाता है जो हमेशा chat room  को देखते हैं।

Chatting करने के लिए text chat  का प्रयोग अधिकतर किया जाता है। इस प्रकार के chat में chatting  करने वाले व्यक्ति संदेशों को लिखकर उनका आदान प्रदान करते हैं इस chat  में भेजने वाले व्यक्ति का जवाब लालरंग के text में दिखता है। इसकी सहायता से हम से लोगों से एक साथ संदेशों  का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

Voice chat भी chatting करने का बहुत अच्छा तरीका है। इसमें chatting करने वाले व्यक्ति संदेशों का microphone की सहायता से wave files के रूप में परिवर्तित करके उनका आदान-प्रदान करते हैं। यह Voice chat  की सुविधा प्रदान करने वाली साइट तथा प्रोग्राम का कार्य होता है। Voice chat  में संदेश सुनाई देते हैं और हम संदेशों को बोल कर प्रसारित करते हैं।

               UNIT –III

            WWW (WORLD WIDE WEB)

इतिहास:- www  से पहले इंटरनेट को संचालित करना, सूचनाओं को प्राप्त करना एवं उनका उपयोग करना अत्यंत कठिन था। फाईल को रखा तथा डाउनलोड करने के लिए कुछ यूनिक्स स्किल का सहारा लेना पड़ता है जो कि www के बाद आसान हो गया। 

Tim Berner Lee को हम www के पिता के रूप में पहचानते हैं। Berner Switzerland में स्थित यूरोपियन आर्गेनाइजेशन न्यूक्लियर रिसर्च नामक प्रयोग शाला में भौतिक शास्त्री थे। Tim Internet  इंटरनेट के संचालन व उसके प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों के कारण निराश हो चुके थे। Tim  ने Cern में अपनी खोज साझेदारी तथा अपने साथियों के सभी कम्यूनिकेशन के माध्यम से इंटरनेट पर लगातार कार्य किया  Tim पहले से ही समस्या को जानते थे इसलिए उन्होंने कार्य को आसान करने के लिए एवं इंटरनेट को आसानी से संचालित करने के लिए एक सिस्टम का निर्माण किया। सन् 1989 में उन्होंने www  सिस्टम के प्रस्ताव को Cern में इलेक्ट्रनिक्स एवं कम्प्यूटिंग विभाग के समक्ष प्रस्तुत किया तथा इस प्रस्ताव पर फीडबैक प्राप्त करने के बाद अपने सहयोगी Robert Calio  के साथ इस प्रस्ताव को दुबारा प्रस्तुत किया एवं व्यावसायिक रूप से यह प्रोजेक्ट शुरू हो गया एवं सन् 1991 में इसकी लिस्ट जनता के लिए प्रदान की गई ताकि जनता इंटरनेट पर नए विकास को समझ सके।

कार्यविधि :-. वेब क्लाइंट वेब साफ्टवेयर संरचना को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। वेब क्लाइंट एक प्रोग्राम है जो दस्तावेज के लिए किसी सर्वर पर अपनी अनुरोध भेजता है। वेब सर्वर भी एक प्रोग्राम है जो अनुरोध को प्राप्त करके आगे दस्तावेज का विवरण उपभोक्ता को वापस भेजता है इस संरचना का अर्थ यह है की कोई भी क्लाइंट प्रोग्राम किसी भी सर्वर से जुड़े किसी अन्य कम्प्यूटर पर क्रियांवित हो सकता है। संभवतः दूसरे कमरे व दूसरे देश में सारे प्रोग्रामर अपने अपने कार्यो पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तथा स्वतंत्र रूप से कार्यो को आगे बढ़ाते हैं क्योंकि सर्वर सिर्फ उस समय कार्य करता है जब कोई उपभेक्ता किसी दस्तावेज की मांग करता है। वेब प्रोसेस का कार्य निम्नलिखित हैः-

1 किसी प्रोग्राम पर कार्य करते समय यूजर किसी हायपरलिंक के माध्यम से किसी दूसरे दस्तावेज से जुड़ सकता है।

2 वेब उपभेक्ता किसी हायपरलिंक के माध्यम से किसी पते का प्रयोग करता है जो हमें किसी निश्चित नेटवर्क पर स्थित वेब सर्वर से जोड़ता हो तथा हमें उस दस्तावेज के बारे में बताता है।

3 सर्वर अपनी प्रतिक्रिया किसी टेक्स्ट को भेजकर तथा उस टेक्स्ट में पिक्चर साउंड या मूवी को उपभेक्ता तक भेज कर व्यक्त करता है और यह उपभोक्ता स्क्रीन पर भेजकर व्यक्त करता है। वेब इस तरह के हजारों लेन देन को प्रति घंटा सारे विश्व में क्रियांवित करता है।

वेब ब्राउजर और उसके फ्ंक्शन :-वेब ब्राउजर एक ऐसा प्रोग्राम है जिसका प्रयोग इंटरनेट पर उपलब्ध सारी सुविधायें  तथा स्त्रोतों को www के माध्यम से ऐक्सेस करने में किया जाता है। वेब ब्राउजर एक वर्ड वाईड वेब उपभोक्ता एप्लीकशन है। जिसका प्रयोग हायपरटेक्स्ट दस्तावेज तथा वेब पर उपलब्ध अन्य HTML प्रलेखों को लिंक के माध्यम से प्राप्त करने में किया जाता हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि वेब ब्राउजर एक ऐसा प्रोग्राम है जिसके माध्यम से हम www वेब साईट से संपर्क करते है। कुछ प्रचलित वेब ब्राउजर निम्नलिखित हैः-

1. Mosaic:- यह एक जी यू आई ब्राउजर है जिसे NCSA द्वारा विकसित किया गया है। इस ब्राउजर को विंडो पर आधारित आपरेटिंग सिस्टम पर प्रयोग किया जाता है। NCSA Mosaic Window System  95 और 98 का एक उपभोक्ता प्रोग्राम है जिसे TCP/IP  नेटवर्क के लिए प्रयोग किया जाता है। यह इंटरनेट का सबसे पहला सफल साफ्टवेयर  है इसे  NCSA  द्वारा विकसित किया गया है। 

Function of Mosaic:-

 i.   Mosaic के माध्यम से हम उन स्त्रोतों तक पहुंच सकते हैं जो की URLको प्रदर्शित करते है।
ii.   Mosaic के माध्यम से हम Home Page  तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
iii.  Mosaic के प्रयोग से हम USA नेट न्यूज को आसानी से पढ़ सकते हैं।
iv.  E-mail भेज सकते हैं।
v.   इसके माध्यम से  कोई भी  शब्द का वर्तमान दस्तावेज से ढूंढ सकते हैं।
vi.  इसके माध्यम से  अपने दस्तावेज को रिलोड कर सकते हैं।
vii. इसके माध्यम से  अपने वर्तमान दस्तावेज को होस्ट लिस्ट में जोड़ सकते हैं।
viii.इसके प्रयोग से  अपने खुले हुए दस्तावेज पर मूव कर सकते हैं।
ix.  इसके माध्यम से वर्तमान Mosaic version  के बारे में सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।
x.   इसके माध्यम से अपने Home Page  में भी बदलाव कर सकते हैं
2. LYNX:-  यह एक टेक्स्ट पर आधारित वेब ब्राउजर या साफ्टवेयर है। जो सूचनाओं का हापरटेक्स्ट में इंटरनेट पर  प्राप्त करने में प्रयुक्त होता है। यह एक अच्छा ब्राउजर है जो University of Kanash Kansas में विकसित किया गया है। LYNX  एक फुल स्क्रीन प्रोग्राम है। जिसका प्रयोग करना अत्यंत सरल है अन्य किसी ब्राउजर का प्रयोग करते समय हमे सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए स्क्रीन पर नीचे के लाईन में टाईप करनी होती है। लेकिन LYNX के प्रयोग से एक शब्द पर सूचनाएं प्राप्त हो जाती है।
Function of LYNX:-
1. इसका प्रयोग पेज को पूरी तरह स्क्रीन पर देखने के लिए किया जाता है।
2. इसका प्रयोग दोबारा पहली कापी पर जाने के लिए किया जाता है।
3. इसके माध्यम से हम अगली लाईन हटा सकते हैं।
4. इसके माध्यम से हम पहली लाईन भी हटा सकते हैं।
5. किसी विषेश टेक्स्ट को ढूंढने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
6. किसी खोज को दोहराने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
7. इसका प्रयोग वर्तमान लिंक को चुनने के लिए किया जाता है।
8. इससे हम पिछले लिंक पर लौट सकते हैं।
3. Netscape Navigator:- यह बहुप्रचलित प्रोग्राम है। यह भी Mosaic की तरह कार्य करता है परंतु इसमें कुछ अतिरिक्त गुणों व सुधारों को शामिल किया गया है। यह जी यू आई सहित एक www ब्राउजर है जो विंडो वातावरण प्रदान करता है। इसको भी NCSA द्वारा विकसित किया गया है।
Function of Netscape Navigator:-
1. अगर कोई पिछला दस्तावेज है तो उस पर यह पहुंचने का कार्य करता है।
2. इसी प्रकार अगला दस्तावेज पर पहुंचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
3. यह प्रारंभिक होम पेज पर पहुंचने के लिए प्रयुक्त होता है।
4. वर्तमान दस्तावेज को रिलोड करने के लिए भी इसका उपयोग होता है।
5. एक या उससे अधिक शब्दों को ढूंढने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
6. लोडिंग रोकने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
4. Internet Explorer:- यह एक स्टैण्ड अलोन ब्राउजर है, जो इंटरनेट कनेक्शन के साथ कार्य करता है। यह इंटरनेट आइकन के द्वारा प्रदर्षित किया जाता है। इसे हम माइक्रोसाफ्ट की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं। यह एक बहुत प्रचलित ब्राउजर है। 
कुछ अन्य बेव ब्राउजर जो प्रयोग किए जाते हैंः-

1.     Net Cruiser

2.     AOL

3.     Net Com

4.     Corp user Mosaic

5.     A/CSA Mosaic

    6.     Spyglass Mosaic
सर्च इंजन :- सर्च इंजन एक प्रोग्राम है जो वेब पेज के माध्यम से वेबसाईट ढूंढने में मदद करता है। एक तरह से सर्च लोकेशन की स्पेस  प्रदर्शित    करता है जो हमारे प्रोग्रामर के हिसाब से मिलती जुलती है। अन्य शब्दों  में सर्च इंजन एक प्रकार का वेब सर्वर है। जो कीबोर्ड के द्वारा मनचाही वेबसाइट को लोकेट करता है सर्च इंजन के माध्यम से सूचनाओं को प्राप्त करना अत्यंत सरल हो गया है। किसी भी नई वेब साइट का URL(Address)  सर्च इंजन के पास जमा किया जाता है तथा वेब साइट के इंडेक्स पेज पर कीबोर्ड का निर्माण किया जाता है किसी भी वेबसाइट को सूची में आने के लिए 7 से 10 दिन तक का समय लग जाता है।
Submitaway.com  एक ऐसी वेबसाइट है जो हमारा पता सर्च इंजन में सबमिट करने में मदद करती है। कुछ सर्च इंजन  का एक निश्चित  फार्मेट होता है और वह आशा करता है कि अपना कीबोर्ड के दोबारा टाइप करें और दूसरी तरफ कुछ सर्च इंजन केवल URLs की मांग करते हैं तथा वेबसाइट में कीबार्ड ले लेते हैं। जब हम अपने URL का उपयोग करके सर्च इंजन से जुड़ते हैं तब हमें सर्च बाक्स में एक या दो शब्द टाइप करने के लिए कहा जाता है। कुछ महत्वपूर्ण सर्च इंजन निम्नलिखित हैः-
1. www.yahoo.com:- यह एक पुराना व अधिक प्रचलित सर्च इंजन है जो कि इंटरनेट यूजर की पसंद की साइट प्रदान करता है।
2. www.iycos.com:- यह एक प्रभावशाली सर्च इंजन है। जो  मनपसंद साइट प्रदान करता है इसको Carnegie Mellon University  ने विकसित किया है।
3. www.infoseek.com:- यह एक अत्यंत प्रभावशाली सर्च इंजन है जो www को इच्छित सूचना के लिए सर्च करता है इसका एक गुण है 1.     “Search Within Result”

4. www.execute.com:- यह एक चैटिंग करने के लिए लिंक प्रदान करता है।
5. www.hotbat.com:- इसके माध्यम से हम शब्द, भाषा तथा समय के आधार पर सूचना सर्च कर सकते हैं।
6. www.altawista-digital.com:- इस जैसे कुछ ही सर्च इंजन होते हैं जो विभिन्न भाषाओं में सूचनाअेां को सर्च करते हैं।
7. www.istents.com:- इसको मदर सर्च इंजन कहते हैं क्योंकि इसमें एक बार में 6 सर्च इंजन काम करते हैं।
8. www.goto.com:- यह एक सामान्य सर्च इंजन है जो अधिक दक्षता के साथ कार्य पूरा करता है।
9. ww.khoj.com:- यह एक भारतीय वेबसाइट का सर्च इंजन है जो भारतीय संस्कृति ओर परंपराओं की खोज होम पेज के माध्यम से करता है।
वेब को सर्च करना:-जैसे www तेजी से बढ़ रहा है तो यह आवश्यक हो जाता है की आसान और जल्दी वेब स्पेस   ढूंढने के लिए अच्छा तरीका होना चाहिए। सर्च इंजन को इसी गति विधि के लिए विकसित किया गया है। सर्च इंजन के फ्रंट एण्ड पर इंडेक्स डेटाबेस होता है। जिस कीबोर्ड को खोजना है उसे टाइप करना होता है। विशय क्रमोदे की सूची को वर्चुअल लाइब्रेरी लिंक लाइब्रेरी विय इंडेक्स और सर्चेबल डायरेक्ट्रीस भी कहते हैं यहां पर अनेक सर्च इंजन विय क्रमोंदेष सूची अथवा कीबोर्ड का उपयोग करते हए सूचनाएं प्राप्त करते हैं इंटरनेट पर सूचनाओं को व्यस्थित करने के लिए फाईल बना कर उनको एकत्रित करने का एक तरीका है उनके अंतर्वस्तु के द्वारा लिंक की सूची होती है। वेबपेज  के वर्गों को या तो वेबपेज के लेखक के द्वारा या विय ट्री के प्रशासक के द्वारा निरूपित किया जाता है।
सर्च इंजन “Feature Index कम्प्यूटर प्रोग्राम  द्वारा स्वतः कम्पाइल हो जाते हैं। जैसे रोबोट व स्पाइडर इंटरनेट पर जाकर खोजते और स्त्रोतों को एकत्रित करते हैंः-
वेब सर्च करने के लिए निम्नलिखित सर्च इंजन को प्रयोग में लाया जाता हैः-

1.     General Search Engine

2.     Uniform Mit a Search Engine

3.     Multiform Meta Search Engine

4.     Geographical Search Engine

5.     Specialized Search Engine

HTTP हायपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल:-HTTP एक स्टैर्ण्ड वेब ट्रांसफर  प्रोटोकॉल है। इसके प्रत्येक परस्पर संबंध में एक ASCII अनुरोध होती है। यह एक RFC 822 MIME Line के द्वारा अनुसरण का एक जवाब है यह सामान्य और स्टैर्ण्ड के लिए उपयोग नहीं होता है। अधिकतर वेबपेज HTTP के साथ अभिगमन करते हैं। वेब संचार की भाषा है इसलिए वेब पता HTTP के साथ शुरू होता है।
यह एक प्रोटोकॉल है जो नियमों का समूह है तथा यह दो या दो से अधिक कम्प्यूटर के मध्य हायपर टेक्स्ट के स्थानांतरण का सन करता है। हायपर टेक्स्ट एक ऐसा टेक्स्ट है जो विशिष्ट  कोड द्वारा तैयार किया जाता है। HTTP  उपभोक्ता सर्वर प्रिंसपल पर आधारित है।
यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर URL (Uniform Resource Locator):-उसकी इंटरनेट पर सुरक्षित जगह पर फाइल होती है।  किसी भी तरीके का उपयोग कर वेब पेज खोल सकते हैं। वेब ब्राउजर के पते और लोकेशन बाक्स में  URL  का प्रवेश कराते हैं। इंटरनेट एक्सपलोरर और नेविगेटर स्वतः समाप्त होने का गुण रखता है। ब्राउजर यह अनुमान लगाने की कोशिश करता है कि हम क्या URL type  टाईप कर रहे हैं ओर इसे कब समाप्त करना है।
वेब सर्वर :-.वेब पर HTML को डिस्प्ले करने से पहले इसको वेब सर्वर से अभिगमन करने की आवश्यकता होती है। यह  आवश्यक है कि इंटरनेट से तथा वेब ब्राउजर वेब सर्वर से संबंध प्राप्त करे यह वेब सर्वर का कार्य है। जब ब्राउजर निवेदन करे तो HTML लेखों को भेज दे । यह कार्य HTML प्रोटोकॉल द्वारा किया जाता है। वेब सर्वर इंटरनेट संबंध के साथ एक समान्य कम्प्यूटर है जो साफ्टवेयर को रन करता है तथा वह HTML लेखों तथा फाईल को भेजने का कार्य करता है।
वेब प्रोटोकॉल :-
1 HTTP:- www अभिगमन करने के लिए उपभेक्ता/सर्वर प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं  सर्वर/ उपभेक्ता पर दस्तावेज कुछ विशिष्ट नियमो का पालन करके ही भेजे जाते हैं। इन नियमों को प्रोटोकॉल कहते हैं। वह प्रोटोकॉल जिसमें www  कार्य करता है HTTP कहलाता है। यह दस्तावेज को एक कम्प्यूटर से दूसरे पर भेजता है ओर सभी हायपर टेक्स्ट पर लिखे होते हैं।
2. हायपर टेक्स्ट :-.वेब के संयोग से दोनों कठिन और नान सिक्वेशनल  टेक्स्ट को एक साथ जिसकों उपयोगिता संबंधित टॅापिक के द्वारा ब्राउजर कर सकते हैं। इस हायपर टेक्स्ट कहते हैं। यह हायपर टेक्स्ट टर्न 1995 में आया जिसमें फिल्मए किताबों और स्पीच के रेखीय विचार के विरोध में कम्प्यूटर द्वारा अरेखीय संरचना को प्रगट करने के लिए लेखों को वर्णित किया गया था।
3. हायपर टेक्स्ट मार्क अप लैंगवेज :- यह हायपर टेक्स्ट लेखों को बनाने के लिए साधारण मार्कअप  भाषा का प्रयोग करते हैं। जिसमें इन लेखों को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक ले जाया जा सकता है। यह साधारण HTML फाइल होती है। जिसमें हायपर टेक्स्ट लिंक के साथ कोड लिखा हुआ होता है। www  पर लेख के लिए फार्मेटिंग भाषा का प्रयोग होता है।

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UNIT-IV

वेब प्रकाशन 

संकल्पना :- हमारे पास पहले से ही दस्तावेज का संग्रह होता है। इन्हें HTML में परिवर्तित करने हेतु बहुत सारे उपाय होते हैं, इस परिवर्तन के लिए कई अनुप्रयोग किए जाते हैं। उदा:-कोरल वेब डेटा डेटाबेस फाईल को HTML फाईल में परिवर्तित करता है। इसका फार्मेट http://www.coreldraw.com    इसी प्रकार वेब प्रकाशक विभिन्न टेक्स्ट फार्मेट को HTML में परिवर्तित करता है। वेब प्रकाशन एक्सेल या पावर पावइंट अनुप्रयोगों की फाईल को HTML फाईल में परिवर्तित करने के साथ साथ निम्न कार्य भी करता है।
1. फाईल को बैच में परिवर्तित करना।
2. बटन का निर्माण करता है। जिससे एक HTML पेज से दूसरे HTML पेज पर पहुंचा जा सकता है।
3. ग्राफिक इमेज का जी आई एफ फार्मेट में परिवर्तित करता है।
4. पहले से उपस्थित सारणियों में लिंक बनाता है।
उपरोक्त कार्य वेब प्रकाशन द्वारा किए जाते हैं। इस प्रक्रिया को वेब प्रकाशन कहते हैं।

डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन :- जब किसी व्यक्ति या कम्पनी को अपनी साइट इंटरनेट पर डिस्प्ले करनी होती है तो इसके लिए उस कम्पनी को डोमेन नाम को रजिस्टर करना पड़ता है। जो यह दर्शाता है कि वह साइट कमर्शियल या एजुकेशनल है। डोमेन नाम की सुविधा कई कम्पनी इंटरनेट साईट के माध्यम से उपलब्ध कराती है। किसी भी उपभोक्ता को अपनी साईट इंटरनेट पर डिस्प्ले करने के लिए उसे डोमेन नाम को रजिस्टर कराना पड़ता है। इसकी सुविधा इंटर  NIC द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इसका कार्य हमारी साइट को रजिस्टर करने के लिए होता है। वह साईट कहां पर स्टोर होगी, यह सब वह कम्पनी को उपलब्ध कराती है। जो हमारी साईट को स्टोर करने के लिए मेमोरी उपलब्ध कराती है। यह हम पर निर्भर करता है की हम किस कम्पनी का चुनाव करते हैं। आजकल कई इंटरनेट कम्पनी उपभोक्ताओं के जरूरतों के अनुसार अपने सर्विस पर उपभोक्ताओं की साईट को रखने के लिए जगह उपलब्ध कराती है। इस सुविधा के लिए वह अपने उपभोक्ताओं से कुछ मूल्य लेती है। डोमेन नाम रजिस्टर कराते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएः-
1. रजिस्ट्रेशन के लिए कितना मूल्य अदा करना पड़ता है।
2. प्रयोग करनेे के लिए कितनी फ्री डिस्क उपलब्ध है।
3. फ्री लिमिट समाप्त होने पर प्रति एम बी स्थान प्राप्त करने के लिए कितना मूल्य अदा करना पड़ रहा है।
4. विभिन्न तकनीकी सहयोग उपलब्ध है या नहीं ।
5. किसी उपभोक्ता की सूचनाओं को कितनी सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि कोई अन अथोराईज व्यक्ति उन सूचनाओं का प्रयोग न कर सके।
डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन के लिए हमें अपनी साईट को रजिस्ट्रर कराना पड़ता है। यह कार्य 24 घंटे से 72 घंटे में समाप्त हो जाता है। जिससे सूचना ई मेल पर उपलब्ध कराई जाती है। इस कार्य के मूल्य का भुगतान उपभोक्ता को क्रेडिट कार्ड नम्बर की सहायता से होता है। बिना क्रेडिट कार्ड से हम रजिस्ट्रेशन नम्बर प्राप्त कर सकते इसके पश्चात् हम अपनी फाईल को कम्पनी के सर्वर पर भेज सकते हैं। फाईल सर्वर पर स्टोर होने पर हमारे डोमेन नाम की सहायता से इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाती है।

वेब साईट के लिये होस्ट सर्वर में जगह :-आजकल कई कम्पनी अपने सर्वर पर उपभोक्ताओं के लिए स्थान उपलब्ध कराती है। जिस सर्वर पर यह स्थान उपलब्ध होता है। उसे होस्ट सर्वर कहते हैं। जो कम्पनी यह स्थान अपने सर्वर पर उपलबध कराती है वह उपभोक्ताओं से कुछ मूल्य लेती है। यह कम्पनी कई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराती है। जैसे किः- साफ्टवेयर तकनीकी सहयोग आदि।
किसी भी व्यक्ति या कम्पनी को जो इस र्स्विस का उपयोग करना चाहते हैं। इस बात का विषेश ध्यान रखना चाहिए कि वह कम्पनी में कितना फ्री स्पेस उपलब्ध करा रही है तथा उसके साथ कौन-कौन तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है तथा यह कितनी सुविधा प्रदान कर रही है। एक बार जब हम अपनी साईट का रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसके पश्चात् अपनी साईट की फाईल को होस्ट सर्वर पर स्टोर कर सकते हैं। इसकेपश्चात्  इंटरनेट के माध्यम से साईट को एक्सेस कर सकते हैं। कुछ साईट जो अपने सर्वर पर स्थान उपलब्ध कराती है। निम्नलिखित हैः-

1.     www.yahoo.com

2.     www.rediff.com

3.     www.azc.com

4.     www.aa.com

HTML एक ऐसी भाषा है जो वेब पेज बनाने में सहायक होती है अर्थात् इस भाषा का प्रयोग से वेब पेज बनता है। मार्कअप भाषा  शब्द किताब छापने वाली इंडस्ट्री से उत्पन्न हुआ है। किसी किताब को छापने से पहले एक कॉपी एडिशन मुख्य स्क्रीप्ट को पढ़ता है व उस पर चिन्ह लगाता है। यह चिन्ह किसी डिजाइनर को यह बताते है कि टेक्स्ट का र्फोमेट का प्रारूप कैसा होना चाहिये। इसी प्रकार किसी वेब पेज पर उपस्थित डेटा ब्राउजर द्वारा आकलित किया जाता है। 

HTML एक ऐसी भाषा है जो हायपर टेक्स्ट दस्तावेज के विभिन्न भागों को समझाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य किसी टेक्स्ट की प्रक्रिया को समझाना है।

HTML एक शब्द हायपर टेक्स्ट जुड़ा हुआ है। जिसका अर्थ है यूजर से संबंध या यूजर से बातचीत करना है। वेब का पूरा कार्य या प्रक्रिया हायपर टेक्स्ट पर निर्भर करती है यह साधारण टेक्स्ट की तरह ही होता है। इसे पढ़ा जा सकता है या स्टोर किया जा सकता है। और ढूंढा भी जा सकता है इसमें कुछ जोड़ा भी जा सकता है ओर इसे अन्य टेक्स्ट के साथ लिंक भी किया जा सकता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि HTML साधारण टेक्स्ट को हायपर टेक्स्ट में बदल सकते है।

डिजायन टूल्स:- किसी वेब पेज को बनाने के लिए निम्नलिखित टूल्स की आवश्यकता होती हैः-

1. HTML फाईल को बनाने या सुधारने के लिए एक एडिटिंग प्रोग्राम अर्थात् HTML एडिटर की आवश्यकता होती है।

2. HTML पेज बनाने के तरीके व संबंधित ज्ञान, ईमेज व चित्रों का स्त्रोत ईमेज को चलाने के लिए एक ग्राफिक प्रोग्राम अर्थात् ईमेज एडिटर

HTML एडिटर:- HTML एडिटर एक प्लेटफार्म होता है जहॉं HTML कोड व HTML टैग को व्यक्त किया जाता है कुछ वेब ब्राउजर के बने बनाए HTML एडिटर होते हैं। कुछ HTML एडिटिंग प्रोग्राम अलग से प्रदान किए जाते हैं। कुछ HTML एडिटर निम्न हैंः-

1. फ्रंटपेज एडिटर:-यह एडिटर माईक्रो साफ्ट फ्रंट पेज द्धारा प्रदान किया जाता है इसमें एडिट करने के लिए फाईल मीनू में जा कर नया कमांड या क्लिक करते है इस प्रकार हम एक नया पेज बनाने के एडिटर प्राप्त करते हैं इसे फ्रंट पेज एडिटर कहते हैं ।

2. नेटस्केप नेविगेटरः-यह नेटस्पेस ब्राउजर का भाग है।WYSIWYG html  टूल्स के अंदर होता है। इसका प्रयोग इंटरनेट पर पेज बनाने के लिए होता है । इसकी विंडो साधरण विंडो की तरह होती है। परंतु इसमें टूलबार जुडे होते है। एक नया पेज खोलकर टूलबार की सहायता से HTML पेज बनाया जा सकता है। 

3. एडोब पेज:- यह एडिटर मैकिनटोश कम्प्यूटर पर HTML पेज बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है इसके नए संस्करण विंडो में भी चलते है। 

4. नोटपैड:- यह सबसेे सिम्पल एडिटर है । सामान्यतः इसका प्रयोग HTML document  दस्तावेज बनाने के लिए  होता है। इसे माईक्रोसाफ्ट नोटपैड कहते हैं। यह HTML कोड लिखने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करता है। कोड लिखने के पश्चात इसे .HTM  या  .HTML extention  की सहायता से क्रियान्वित  करते हैं। 

5, ईमेज एडिटरः- इस एडिटर का प्रयोग श्रड को सम्भालने के लिए किया जाता है।  यह निम्न  प्रकार के होते है। 

1, एडोब फोटोशाप:- इसकी कीमत लगभग 50 डालर होती है। यह कम्पनी के लिए एक आदर्श  एडिटर होता है। इसकी कीमत अधिक है परंतु यह शक्तिशाली है। 

2, कोरल फोटोे पेंटः-इसकी कीमत 69 डालर 399 तक की होती है। यह फोटोशॉप का एक अच्छा विकल्प है। 

3, माईक्रो ग्राफिक्स:-इसकी कीमत 150 डालर होती है। यह पिक्टोरियल ग्राफिक पैकेज है। 

4,पैंटशॉप:- इसकी कीमत 99 डालर होती है। 

5, पैंटर क्लासिक और आर्ट डेवलपर:- पैंटर क्लासिक का कीमत 9 डालर होती है। तथा आर्ट डेवलपर की कीमत 490 डालर होती है। यह आर्ट पैंटिग के लिए होता है। 

6, विक्टर और बिट मैपः-इसके अंतर्गत 3 एडिटर है। 

I    Corel Extra

II   Weight Design

III Macro Media Fire Works

वेब साईट के लिये एफ टी पी साफ्टवेयर अपलोड करनाः- 

(1)    एफ टी पी के द्वारा यूजर दूसरे कम्प्यूटर से इंटरनेट के माध्यम से फाईल को लोड करता है। यूजर अपनी फाईल को भी दूसरे कम्प्यूटर में भेज सकता है। 

(2) पब्लिक एफ टी पी साईट को लॉग इन की आवश्यकता होती हैं। तथा उपयोगकर्ता के ईमेल पते की आवश्यकता पासवर्ड के लिए होती है। 

(3) हम एफ टी पी सर्वर के कम्प्यूटर को ही एक्सेस कर सकते  हैं। इंटरनेट या एफ टी पी साईट की सूची उपलब्ध होती है। इस उपलब्ध सूची में से मनचाही साईट को डाउनलोड कर सकते हैं। साईट को डाउनलोड अकसर संपीडन तकनीकी की आवश्यकता  होती है जिससे साईट को छोटा करते हैं। जिससे वह जल्दी डाउनलोड होती है। इस प्रकार एफ टी पी साफ्टवेयर का प्रयोग वेब साईट के लिए होता है। 

Issues in Website Creation and Mainteness %&

1, कुछ तत्व विकास कर्ताओं द्वारा अपने स्वयं के सर्वर पर वेबसाईट होस्ट करते हैं। इसके बजाए जो कम्पनी सर्वर पर स्थान उपलब्ध कराती है। ज्यादा अच्छे ढंग से हार्डवेयर उपलब्ध कराती है। परंतु यह साईट के लिए तत्व विकसित नहीं कराती हैं। 

 2, यदि होस्ंिटग के लिए स्वयं का कोई उपाय करते है तो साईट के तत्वों पर हमारा नियंत्रण अच्छा होता है।   

* * * * *



 

UNIT-V

ई कामर्स

परिचय:-ई कामर्स एक प्रकार का व्यवसाय व व्यवसायिक वातावरण हैं। जिसमें वस्तु की खरीदी बिक्री व उनके आगमन की सारी सुविधाए व अन्य दूसरी तरह की तकनीक भी शामिल होती हैं। जिनके प्रयोग से कम्पनी अपना व्यवसाय आधुनिकता ढंग से कर सकती है। ई.कार्मस टैली कम्यूनिकेशन और डेटा प्रोसेसिंग में उपयोगी हैं। जिससे व्यवसाय के भागीदारो के बीच लेनदेन की गुणवत्ता को बढाया जाता हैं। ई कामर्स व्यवसाय की कार्य क्षमता में डाटे प्रोसेसिंग व डेटाबेस  के संग्रहण के माध्यम से बढोत्तरी करता हैं।ई कामर्स के माध्यम से मजदूरी लागत व पेपर के संग्रहण में कमी आती हैं। यह व्यवसाय को अपने माल की गुणवत्ता तथा सुविधाओ के जरिए अधिक प्रभावशाली बनाता है। ई कामर्स के जरिए उपभोक्ता तथा व्यवसायियों के बीच एक प्रभावशाली कम्यूनिकेशन स्थापित किया जाता है। उपभोक्ता सामान की बिक्री व खरीद किसी भी समय में विश्व के किसी भी स्थान से कर सकता है। 

ई कामर्स का एक कम्प्यूटर कम्यूनिकेशन के ऊपर वस्तु की बिक्री तथा उत्पाद तथा सूचनाओ से जुड़ा रहता है। इसके अतिरिक्त ई कामर्स पारंपरिक व्यापार में नई सूचनाओं के आदान प्रदान की गति एवं प्रोत्साहन प्रदान करता है। यह सूचनाएॅं विभिन्न व्यवसायिक गतिविधियों से जुडी रहती है। इस प्रकार ई कामर्स ने व्यवसायो को गति प्रदान की है। यह अन्य साधनो की अपेक्षाकृत सस्ता साधन भी है। 

 ई कामर्स की उपयोगिता:-

1.उत्पादक क्षमता में वृध्दिः- ई कामर्स के उपयोग से व्यवसाय के लेनदेन में लगने वाला समय मानवीय गलतियों जैसेः-रिकार्ड का अनुलिपि में दुबारा एंटरी न होने से कमी आती है। कार्य की गति व निश्चितता में वृध्दि आती है। इन सब का परिणाम होता है उत्पादक क्षमता में वृध्दि ।

2. लागत में बचत:- खोज के अनुसार इंटरनेट पर व्यापार करने से कुल बिक्री मे 5ः से 10ः तक लागत में बचत होती है। लागत में कभी प्रभावशाली कम्यूनिकेशन तथा मार्केट के नवीनतम अध्ययन से आती है। यह सब ई कामर्स के अध्ययन से ही संभव है। 

3.नए व्यवसाय के अवसरः- ई कामर्स के माध्यम से विश्व के अलग -अलग उपभोक्ता एक दूसरे से जुडे रहते है। उनमंे विचारो का आदान प्रदान होता है। नए -नए व्यापारों के अच्छे अवसर बनते है। जिसके द्वारा वह अपने संबंध और अधिक प्रभावशाली बना सकते है। 

4.उपभोक्ता की जरूरतो का पूर्वानुमानः- इनके माध्यम से उपभोक्ता अपने सुझाव उत्पादक को तो भेजता ही है। साथ ही उत्पादक को उपभोक्ता की जरूरतो का अनुमान हो जाता है। और वह इसकी जरूरत को ध्यान में रखकर वस्तु निर्माण करता है। 

5.अच्छी उपभोक्ता सुविधा:-इसके माध्यम से व्यापार व उपभोक्ता के मध्य एक प्रभावशाली आदान प्रदान बना रहता है। जिससे उपभोक्ता दुनिया में कही भी सामान खरीद व बेच सकता है।

एप्लीकशन :- आजकल अधिकांश वेबसाईट व कम्पनी सीधे मार्केटिंग बिक्री और उनसे जुडी हुई सुविधाओं पर जोर दे रही है। कुछ ऐसी वेबसाईट व कम्पनी निम्नलिखित हैं 

Amazn.com

Barnere hobble

Dell कम्प्यूटर

सीधे मार्केटिंग व बिक्री नेटवर्क को बनााने के लिये निम्नलिखित चरण का अनुसरण किया जाता है

1 एक एच टी एम एल पेज बनाना जिससे उपभोक्ताओं को आपस में एक सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट के जरिए जोड जा सकता हैं।

2 उपभोक्ता की सूचनाओं को संग्रहित करना।

3 उपभोक्ता की सूचनाओं की सुरक्षा।

4 व्यापार के नियमों से उपभोक्ता को परिचित करना।

5 अपने उत्पादों के विज्ञापन और रखरखाव की योग्यता का होना।

6 ऐरर सेलिंग और अप सेलिंग की तकनीक।

7 डेटा को सुरक्षित रखने की सुविधा और उस डेटा के एक्सेस की सुविधा।

8 ट्रेफिक और उपभोक्ताओं के व्यवहार का प्रेक्षण करना।

2. ऑनलाईन बैंकिंग और बिलिंग:- आजकल वित्तिय एवं अन्य सूचना सुविधाओ का विस्तृत क्षेत्र इंटरनेट पर उपलब्ध है। विभिन्न वेबसाईड व्यापारो की बढोत्तरी के लिए उत्साहित किया जा रहा है। यह वेबसाईट बहुत प्रचलित है क्योकि यह वेबसाईट उपभोक्ता को प्रत्येक आकार के व्यवसाय तथा वित्तीय संस्थाओ को हर तरह की मदद व अन्य-अन्य सूचनाये इंटरनेट पर उपलब्ध कराती है। आनलाईन बैंकिंग के जरिए उपभोक्ता तथा छोटे व्यवसाय अपने समय व धन की बचत कर सकते है। बिलांे का भुकतान अपने वित्तीय संस्थाओ को एकाउंट का अपहरण इंटरनेट के जरिए किया जा सकता है।

3. ऑनलाईन के माध्यम से कम्पनी अपने बिलों को प्राप्त व अपने उपभोक्ताओ को इंटरनेट आधारित डिलिवरी भेज सकती है। आजकल उपभोक्ता औसतन (12) बिल एक महीने में ई.मेल के माध्यम से अपनी रिटेलरए कम्पनी से प्राप्त कर सकते है। अधिकांश व्यवसायो में उनकी सूचना ही महत्तपूर्ण संपत्ति होती है। इन सूचनाओ के जरिए व्यवसाय नए-नए मार्केट   एक अपनी पहुचॅ बनाते है। व्यवसाय की महत्तपूर्ण सूचनाओ की सुरक्षा के लिए सुविधा प्रदान करती है। 

4. व्लयू चैन ट्रडिंग और कोरपोरेट परचेस:- इस प्रोसेस में एक वस्तु के उत्पादक डीलर तथा उपभोक्ता एक चैन के माध्यम से जुडे रहते है। इस प्रक्रिया के निम्न भाग है. 

1. उपभोक्ता अपना ऑडर एक नए कम्प्यूटर सिस्टम के लिए डीलर को वेबसाईट के जरिए प्रदान करता है। 

2. डीलर ऑडर प्राप्त करता है तथा वह ऑडर स्वतः ही उत्पादक के पास पहुंच जाता हैं । 

3. उत्पादक सप्लायर को माल का ऑडर प्रदान करता है। 

4. जहाज अपनी आवागमन क्षमता का आकलन करता है। कि वह निर्धारित समय पर कम्प्यूटर डिलीवरी दे पाएगा या नही। 

5. कम्प्यूटर उत्पादक डीलर से ऑडर निश्चित करता है। 

6. डीलर पभोक्ता  को ऑडर निश्चित प्रदान करता है।

इंटरनेट कारपोरेट खरीद के लिए कम कीमत अच्छा माल तथा माल की मरम्मत एवं रखरखाव की सुविधाए प्रदान करता हैं। 

साध्यता:-

ई कामर्स को लागू करने से पहले निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना पडता है। 

1. लागत:- किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने के लिए हार्डवेयरए साफ्टवेयरए स्टाफ को ट्रेनिग की आवश्यकता होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि इनको स्थापित करने की लागत कम से कम हो तथा यह आसानी से सफलतापूर्वक कार्य कर सकें।

2. मूल्य :- इसके अन्तर्गत इस बात का ध्यान रखा जाता है कि व्यापारी को उसके द्वारा किए निवेेश के अनुसार प्रतिफल प्राप्त हो रहा है या नही । अतः यह आवश्यक है कि व्यापारी द्वारा किए गए निवेश के हिसाब से उसको प्रतिफल प्राप्त हो। 

3. सुरक्षा:-इसके अन्तर्गत किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने का मुख्य उददश्य होता हैं कि किसी उपभोक्ता संबंधी व व्यवसाय संबंधी सुचनाओ को सुरक्षित रखा जाता सके। 

4. आंतरिक संचालन:- यदि कोर्इ्र ई कामर्स सिस्टम बिना किसी मानवीय सहायता के प्रलेखो का आदान-प्रदान कर सकता है। तथा ऐसा करने से अगर संस्था की कार्य कुशलता में वृध्दि होती है तो वह ई कामर्स सिस्टम व्यवसाय में लागू करने योग्य है। 

बांधाए. सन् 1994 में इलेक्ट्रनिक इनफमशन मैनेजमेंट तथा इलेक्ट्रानिक कामर्स पेनल ने ई कामर्स को अपनाने में निम्नलिखित बाधाएं परिभाषित कीः- 

1.व्यापार प्रक्रिया के पुनः उत्थान में परशानी:-किसी व्यापार के प्रक्र्रिया के पुनः उत्थान में देखा जाता है कि यह अनुमानित समय से अधिक आती है क्योकि पुराने हार्डवेयरए साफ्टवेयर अन्य प्रलेख नए मापको को पूरा नही कर पाती है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता व सप्लायर के बीच में प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है। 

2.विभिन्न इलेक्ट्रानिक सूचना प्रणाली के प्रयोग में कठिनाईः- विभिन्न इलेक्ट्रनिक सूचना प्रणालियो के कारण किसी उपयोगकर्ता की आशाएं बढ़ जाती हैं। परन्तु वह उसका उपयोग आसानी से नही कर पाता है जिससे व्यापार प्रबंधन में कठिनाइयां उत्पन्न होती है। 

3. नेटवर्क में सुरक्षा की कमी:- किसी वितरित नेटवर्क वातावरण में विभिन्न सूचनाओं को सुरक्षित रख पाना बडा मुश्किल कार्य है। इसके कारण ई कामर्स सिस्टम के उपयोग में बडी कठिनाइयों का सामना करना पडता है। कुछ छोटा व मध्यम आकार की कम्पनीयॉ किसी ई कामर्स सिस्टम को स्थापित करने में आने वाली अधिक लागत के कारण भी ई कामर्स सिस्टम स्थापित नही कर पाती है। 

ई कामर्स में टेक्नोलॉजी:-

ई कामर्स की परिभाषा में वैसे तो कोई तकनीकियॉ सम्मलित हो सकती हैं जिसमें से निम्न है:-

1 इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज :- किसी कम्प्यूटर में होने वाली व्यापारिक गतिविधियों के बीच संबंध स्थापित करता है। यह विभिन्न व्यापारिक दस्तावेज जैसेकि पर्चेस ऑडरए इनवॉयसए शिपमेंट नोटिस में आदान प्रदान में सहायक होता है। प्रारंभ के दिनो में डेटा एक कम्पनी से दूसरंे कम्पनी में पेपर दस्तावेज के माध्यम से भेजा जाता था। इसे पेपर आधरित कहते थे। इलेक्ट्रानिक डेटा ट्रान्जेक्शन दो कम्पनीयॉ के मध्य इलेक्ट्रानिक लिंक बनाता है। इलेक्ट्रानिक डेटा ट्रान्जेक्शन तकनीक के द्वारा सूचनाएं किसी नेटवर्क के माध्यम से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में भेजी जाती है। 

2 बार कोड:- इनका प्रयोग किसी प्रोडक्ट की कम्प्यूटर द्वारा स्वतः पहचान ज्ञात करने के लिए किया जाता है। ये विभिन्न आकार की आयताकार लाईन होती है। जिनकी चौडाई अलग-अलग होती है। इनमें खास बात यह होती है कि आब्जेक्ट  को किसी भी सतर पर पहचाना जा सकता है।

3 E-mail

4 Internet

5 World Wide Web

6. प्रोडक्ट डेटा एक्सचेंज:- प्रोडक्ट डेटा का अर्थ उस डेटा से है जिसकी जरूरत किसी प्रोडक्ट को परिभाेिषत करते समय होती है। कभी कभी यह डेटा ग्राफिक के रूप में हो सकता है। दूसरी तरफ यह डेटा कैरेक्टर के रूप में भी हो सकता है। प्रोडक्ट डेटा एक्सचेंज दूसरे प्रकार के व्यवसाय कम्यूनिकेशन से अगल होता है। 

7. इलेक्ट्रानिक फार्म:- यह एक ऐसी तकनीक जो पेपर फार्म तथा डीजिटल लाईन बाक्सए चेक बाक्स तथा हस्ताक्षर के लिए जगह उपलब्ध रहती है। किसी यूजर के लिए इलेक्ट्रानिक फार्म एक कागज की फार्म की तरह होता है। अंतर केवल इतना ही होता है कि इलेक्ट्रानिक फार्म कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज के रूप में डिस्प्ले होता है। परन्तु पेपर फार्म कागज के रूप में होता है। आजकल डेटा की सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रानिक फार्म का उपयोग किया जा रहा है। जिससे हम सूचनाएं स्वतः ज्ञात कर सकते है। 

इंटरनेट और ई बिजनेस:-

इंटरनेट अलग अलग जगह पर लगे कम्प्यूटर को जोडकर सूचनाओ के आवागमन के लिए बनाई गई एक विशेश प्रणाली है। इंटरनेट व्यापार के कई रास्ते खोल दिए है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने घर से भी व्यापार कर सकता है। इंटरनेट के माध्यम से कोई वयक्ति ऑडर ले सकता है व उपभोक्ता को समय पर माल उपलब्ध करा सकता है। इंटरनेट  के माध्यम से होने वाले इस व्यापार को ई व्यापार कहते है। यह पारंपरिक व्यापारो की अपेक्षा कम खर्चीला होता है। क्योकि इसमें इसे उपभोक्ता को बॉटा गया है। 

1 बिजनेस टू बिजनेस ई कामर्स  :- कोई एक व्यापारिक संगठन किसी दूसरे व्यापारिक संगठन से इंटरनेट के माध्यम से व्यापार करता है तो उसे बिजनेस टू बिजनेस ई कामर्स कहते है।  

2 कंज्यूमर टू बिजनेस ई कामर्स :- जब इंटरनेट के माध्यम से किसी व्यापारिक संगठन से व्यापार करता है तो इसे कंज्यूमर टू बिजनेस ई कामर्स कहते है। 

3 कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई कामर्स :- इसमेें जब कार्इ्र उपभोक्ता किसी दूसरे उपभोक्ता से सीधे इंटरनेट के माध्यम से संपर्क स्थापित करता है तो इसे कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई कामर्स कहते है। 

 वेब पेज बनाने करने के लिए कोडिंग:-

उदाहरण:-

<html>
<head>
<title> First web Page </title>
</head>
<body>
<p> This is My First Web Page </p>
</body>
</html>

उपरोक्त कोडिंग को नोटपैड में पहले टाईप करना चाहिये फिर इसे फाईल नाम के साथ .htm  या .html नाम देकर सेव करना चाहिये। सेव  करने के बाद इस प्रोग्राम को मीनीमाइज करके डेस्कटॉप पर इंटरनेट एक्सपलोरर को ओपन करके फाईल मीनू में ओपन विकल्प का प्रयोग करके Open> Internet Explorer > html file  को सलेक्ट करके open>OK>OK  करने के बादclick html page Internet Explorer में दिखाई देने लगेगा।

<b> This text appears in Bold </b>

<I> This text appears in Italic </I>

<u> This text appears in Underline </u>

Example 1 

Web Page with Bold Tag                                                                                                          <html>

<head>

<title> Web Page Bold</title>

</head>

<body>

<p><b> This text will appear bold </b> </p>

</body>

</html>

Example 2       Web Page  Italic & Bold                                                                                                                                                                                                                                                                                   <html>

<head>

<title> Web Page  Italic & Bold</title>

</head>

<body>

<p><b><I> This text will appear in Bold & Italic </I></b></p>

</body>   

</html> 

Example 3 Web Page Underline Italic Bold

            <html>

<head>

<title> Web Page Underline Italic Bold</title>

</head>

<body>

<p><b><I><u> This text will appear in Bold, Italic & Underline </u></I></b></p>

</body>

</html>   

Example 4  Web Page Horizontal Line                                                                                                   

<html>

<head>

<title> Web Page Horizontal Line </title>

</head>

<body>

<p> program to display a horizontal line</p>

<HR SIZE=”5” WIDTH= “50%” COLOR= “RED”>

</body>

</html>                                                                                                                                           

Example 5 Web Page Alignment (Center, Right, Left)

            <html>

            <head>

<title> Web Page Alignment</title>

</head>

<body>

<p align= “center”> This text is center alignment </p>

<p align= “left”> This text is left alignment</p>

<p align= “right”> This text is right alignment </p>

<HR>

</body>

</html>                                                                                                                                       

Example 6 Web Page Font Color Size Face

<html>

<head>

<title> Web Page Font Color Size Face</title>

</head>

<body>

<p><font color= “Red” size= “4” face= “Arial black”> Arial black in red color and size 4 </font></p>

<p> <font face= “courier”> courier </font></p>

<p> <font size= “6” face ="Garamond” >

Garamond black color and size 6 </font></p>

<p><font color= “Blue” size= “2” face= “impact”>

impact in blue and size 2</font></p>

<p><font face= “MS sans serif”> MS sans serif </font></p>

</body>

</html>     

Example 7   Web Page Back Ground Color & Text Color                                                                                                        

<html>

<head>

<title> Web Page Back Ground Color & Text Color</title>

</head>

<body bgcolor= “gray” text= “black”>

<p> back ground colour is gray & text colour is black </p>

<HR>

</body>

</html>                                                                                                                          

Example 8 Web Page Super Script & Sub Script 

<html>

<head>

<title> Web Page Super Script & Sub Script     </title>

</head>

<body>

<p> this is my 1<sup>st</sup> program using html</p>

<HR>

<p> H <sub>2</sub> O is the chemical name for water </p>

<HR>

</body>

</html>                                                                                                                           

 Example 9 Web Page Strike & Pre Tag

<html>

<head>

<title> Web Page Strike & Pre Tag</title>

</head>

<body>

<strike> This text will appear with strike effect </strike>

<HR>

<Pre> * * * * *

             * * * *

              * * *

               * *

                *

</Pre>

<HR>

</body>

</html>                                                                                                                           

Example 10 Web Page with Heading 

<html>

<head>

<title> Web Page with Heading </title>

</head>

<body><center>

<H1>  Heading 1 text</p> </H1>

<H2> Heading 2 text</p> </H2>

<H3> Heading 3 text </p> </H3>

<H4> Heading 4 text </p> </H4>

<H5> Heading 5 text</p> </H5>

<H6> Heading 6 text</p> </H6></center>

</body>

</html>                                                                                                                           

Example 11 Web Page Marquee Text

<html>

<head>

<title>Web Page Marquee Text</title>

</head>

<body>

<Marquee Align = “Bottom” behaviour= “alternation” width= “50%” bgcolor= “ffff00”> This is Marquee Text </Marquee>

</body>

</html>                                                                                                                

Example 12 Web Page Marquee Text Scroll

<html>

<head>

<title>Web Page Marquee Text Scroll</title>

</head>

<body>

<Marquee Align = “Bottom” behaviour= “Scroll” width= “100%” height= “50” bgcolor= “ffff00”> This is Marquee Text </Marquee>

</body>

</html> 

Example 13   Insert Image (give file name from your directory)

<html>

<head>

<title> Insert Images </title>

</head>

<body>

<p align= “center”>

<font size= “5” face= “arial”> This program Demostrate how to Insert Images </font> </p>

<p align= “center”> 

<Img src= “c:\win\mlc.jpg” width=”500” height=”600” alt=”Picture” > </p>

</body>

</html>                                                                                                              

Example 14 Invoke hello.html( You write here your system's file name)

<html>

<head>

<title> Invoke hello.html </title>

</head>

<body>

<p> <A href= “hello.html”> Click here to invoke hello.html</A></p>

</body>

</html>   

Example 15 Image Hyperlink ( You write here your system's file name)

<html>

<head>

<title> Image Hyperlink </title>

</head>

<body>

<p align= “center” > click on the Image below </p>

<p align= “center”> <A href= “hello.html”>

<Img src= “c:\win\forest.bmp” Borders = “0”> </A></p>

</body>

</html>   

Example 16 Applet Hyperlink 

<html>

<head>

<title> Applet Hyperlink </title>

</head>

<body>

            <A name= “TOP” > </A>

<p> you will know how it works </p>

<p> <strong> This is the TOP part of this documents </strong></p>

<p> <A href= “#BOTTOM”> Go to Bottom </A></p>

<p> <A href= “#MIDDLE”> Go to Middle </A></p>

<HR>

<p> To make This work we need to simulate The Document Being very long by using many break </p>

<br> <br> <br> <br> <br> <br> <br> <br> <br> <br> <br> <br>

<A name= “#MIDDLE”> </A>

<HR>

<p> <strong> Bottom portion of the document </strong> </p>

<p> <A href= “#MIDDLE”> Go to Middle </A> </p>

<p> <A href= “#TOP” > Go to Top </A> </p>

<HR>

</body>

</html>

Example 17 Adding a TEXT BOX

<html>

<head>

<title> Web Page for Text Box</title>

</head>

<body>

<form> <p> Enter Your Name

<Input Type= “Text” Name= “Emp name” Size= “10” Maxlength= “10” >

</p>

</form>

</body>

</html>                                                                                                                                                                                                                                                                                Example 1Adding a CHECK BOX

<html>

<head>

<title> Check Box </title>

</head>

<form>

<h4>Hobbies</h4>

<p align="left">

<input type="checkbox" name="hobbies">reading books<br>

<input type="checkbox" >listening of music<br>

<input type="checkbox" name="hobbies">writing a books<br>

</form>

</html>   

Example 19: Adding a RADIO BUTTON

</html>

<head>

<title>Radio Button </title>

<body>

<form>

<input type="radio" "name="gender" value="male" checked>Male

<br>

<input type="radio" "name="gender" value="female">Female

<br>

<input type="radio" id="C" name="hobby" value="C">C

<br>

<input type="radio" id="C++" name="hobby" value="C++">C++

<br>

</form>

</body>

</html>

Example 20 PULL DOWN MENU

<html>

<head>

<title> Pull Down Menu</title>

</head>

<body>

<form>

<p align= “center”> Pull Down Menu </p>

<Select name= “Course” align= “center”>

<Option Value = “Option 1”> BCA

<Option Value = “Option 2”> BBA

<Option Value = “Option 3”> MBA

<Option Value = “Option 4”> MCA

<Option Value = “Option 5”> MA

</Select>

</form>

</body>

</html>

=============================================

Example 21 Pull Down Menu BCA/PGDCA/DCA with java script

<html lang="en">

<head>

    <meta charset="UTF-8">

    <meta name="viewport" content="width=device-width, initial-scale=1.0">

    <title>Dropdown Example</title>

</head>

<body>

    <label for="options">Choose an option:</label>

    <select id="options" onchange="print()">

        <option value="BCA">BCA</option>

        <option value="PGDCA">PGDCA</option>

        <option value="DCA">DCA</option>

    </select>

    <p id="selected">Selected option will be displayed here.</p>

    <script>

        function print() 

{

            var selectedValue = document.getElementById("options").value;

            document.getElementById("selected").innerText = "You selected: " + selectedValue;

        }

    </script>

</body>

</html>

Example 22 Table boarder, td(table data), tr(table row), th(table heading)

<html>

<head>

<title> border </title>

</head>

<p align = "center">

<table border = "1">

<tr>

<th> NAME </th>

<th> CLASS </th>

</tr>

<tr>

<td> Surabhi </td>

<td> 12th </td>

</tr>

<tr>

<td> Seema </td>

<td> 11th </td>

</tr>

<tr>

<td> Sita </td>

<td> 11th </td>

</tr>

</table>

</p>

</html>      

    Example 23 Use of Frame in Web page:( You write here your system's file name)

<html>

<head>

<title> frame page </title>

</head>

<frameset cols= "50%, 50%">

<frame src = "MLC2.html">

<frame src = "MLC3.html">

</frameset>

</html>   

Example 24 Adding a TEXT BOX

<html lang="en">

<head>

<title>Text Area Example</title>

</head>

<body>

    <form>

        <label for="comments">Comments:</label><br>

        <textarea id="comments" name="comments" rows="4" cols="50">

        </textarea>

    </form>

</body>

</html>

Example 25 Adding a TEXT AREA

<html>

<head>

<title> Text Area </title>

</head>

<body>

<form>

<H1 align= “Center”> <Textarea cols= “50” Rows= “3” Name= “area1”> This Text can be changed by the User </Text Area> <br> <br> <br>

<Text Area cols= “50” row= “3” Name= “Arial” Read only> This is Read only Text and cannot be changed </Textarea>

</form>

</body>

</html>

 Example 26 Adding Pull Down Menus.

<html>

<head>

<title> Pull Down Menu </title>

</head>

<body>

<form>

<H1 align= “Center”> Pull Down Menu </H1>

<br>

<p align= “Center”> Select Your Option </p>

<p align= “Center”>

<Select Name= “Menu1”>

<Option>Red

<Option>Blue

<Option>Green

<Option > Yellow

<Option>Orange

</Select> </p>

<p align= “Center”> Default Selection </p>

<p align= “Center”>

<Select Name= “Menu2”>

<Option>Red

<Option>Blue

<Option>Green

<Option Selected>Yellow

<Option> Orange

</Selection>

</p>

</form>

</body>

</html>    

Example 27 Unordered List with bullet

<html>

<body>

<ul>

      <li>Hardware</li>

      <li>Software</li>

</ul>

</body>

</html>     

Example 28 Without Number List

<html>

<body>

<dl>

<dt>Hardware</dt>

<dt>Software</dt>

</dl>

</body> 

</html>                                                       

Example 29 Audio File( You write here your system's file name)

<html>

<body>

<audio controls>

<source src="d:\na na song.ogg" type="audio/ogg">

<source src="d:\na na song.mp3" type="audio/mpeg">

Your browser does not support the audio element.

</audio>

</body>

</html>  

Example 30 Working with Table 

        <html>

 <Head>
<Title>Working with Table </Title>
</Head>
<Body Bgcolor="Lightgrey">
<B>Specifying Rowspan and Colspan Attributes! </B>
<BR><BR<BR>

<Center>
<Table Border=2 cellpadding=3 Align=Center>
<TR>
<TH Rowspan=2>Name of Trains
<TH Rowspan=2>Place
<TH Rowspan=2>Destination
<TH Colspan=2>Time
<Th Rowspan=2>Fare </TR>
<TR>
<TH>Arrival 
<TH> Departure
</TR>
<TR align=Center>
<TD>Rajdhani Express
<TD>Bombay
<TD>Delhi
<TD>07:30
<TD>08:45
<TD>Rs.989.00
</TR>

<TR align=Center>
<TD>Madras Mail
<TD>Bombay
<TD>Madras
<TD>09:00
<TD>10:15
<TD>Rs.450.00
</TR>

<TR align=Center>
<TD>Konya Express
<TD>Bombay
<TD>Banglore
<TD>11:30
<TD>12:25
<TD>Rs.645.05
</TR>
<TR align=Center>
<TD>Konkan Express
<TD>Bombay
<TD>Mangalore
<TD>13:30
<TD>14:45
<TD>Rs.756.00
</TR>
<TR align=Center>
<TD>Deccan Express 
<TD>Bombay
<TD>Madras
<TD>13:30
<TD>14:45
<TD>Rs.756.00
</TR>

<Caption Align=Top><B>
<BR>Railway Time Table </B></Caption>
</Table>
</Center>
</Body>
</Html>
Example 31 Ordered Unordered and Definition List 
<Html>
<Head>
<Title>Lists</Title>
</Head>
<Body>
<B>Example on Unordered Lists</B>
<UL type=Fillround>
<LI>PGDCA
<LI>DCA
<LI>BCA
</UL>
<B>Example on Ordered Lists</B>
<OL type="i" Start=4>
<LI>PGDCA
<LI>DCA
<LI>BCA
</OL>
<B>Example on Defination Lists</B>
<DL>
<DT>Course I
<DD>PGDCA
<DT>Course II
<DD>DCA
<DT>Course III 
<DD>BCA
</DL> 
</Body>
</Html>

Example 32 Table with colored Cell 
<HTML>
<Head>
<Title>Working with Cell Color</Title>
</Head>
<Body Bgcolor=Lightgrey>
<B>Specifying Colored Table Cells! </B>
<BR><BR<BR>

<Center>
<Table Border=1 width=50% Align=Center>
<TR>
<TH bgcolor=Gray>NAME</TH>
<TH bgcolor=Gray>AGE</TH>
</TR>

<TR align=Center>
<TD bgcolor=red><Font Color=White>Sita </Font></TD>
<TD bgcolor=violet><Font Color=Red>25</Font></TD>
</TR>

<TR align=Center>
<TD bgcolor=blue><Font Color=White>Gita </Font></TD>
<TD bgcolor=red><Font Color=Blue>22</Font></TD>
</TR>
<Caption align=Bottom><B><BR>
Personal Information
</Caption>
</Table>
</Center>
</Body>
</Html>

Example 33 Frameset (give name of your system's files ) 
<Html>
<Head>
<Title>Frame set </Title>
</Head>
<Frameset Rows="60,20,10">
<Frame src="E:\Mlccollege.gif" marginheight=0 marginwidth=0 
name="Frame1">
<Frameset cols="25%,25%,40%">
<Frame src="e:\html & css\Chapter4.html" Name="Frame2">
<Frame src="e:\html & css\Chapter5.html" Name="Frame3">
<Frame src="e:\html & css\Chapter6.html" Name="Frame4">
</Frameset>
</Frameset>
</Html>

Example 34 for pull down menu in java script   
<html>  
<head>  
<title>dropdown menu using select tab</title>  
</head>  
<script>  
function favTutorial() 
{  
var mylist = document.getElementById("myList");  
document.getElementById("favourite").value = mylist.options[mylist.selectedIndex].text;  
}  
</script>  
<body>  
<form>  
<b> Select you favourite Computer Language using dropdown list </b>  
<select id = "myList" onchange = "favTutorial()" >  
<option> ---Choose Language--- </option>  
<option> C </option>  
<option> C++ </option>  
<option> VB .Net </option>  
<option> HTML Coding </option>  
</select>  
<p> Your selected Language is:   
<input type = "text" id = "favourite" size = "20" </p>  
</form>  
</body>  
</html>  

Example 35 for CSS coding
<html>
<head>
<style>
body 
{
background-color: powderblue;}
h1
{
color: blue;
}
{
color: red;
}
</style>
</head>
<body>

<h1>This is a heading</h1>
<p>This is a paragraph.</p>

</body>
</html>This is my First Page

Example 36 for CSS coding

<html>
<body style="background:skyblue">
<div style="width:90%; min-height:600px; background:white; margin:auto; border-radius:5px;">
<div style="height:70px;text-align:center ; border-bottom:5px solid red;"> Hello Top </div>
<div style="height:460px; width:20%; border-left:1px solid red; float:left;"> Left Block  </div>
<div style="height:460px; width:79.8%; background:blue; float:left;"> 
<div style="width:150px; height:150px;text-align:center; background:yellow; float:left; margin:15px;">A </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="width:150px; height:150px; background:yellow; float:left; margin:15px;"> </div>
<div style="clear:both;"> </div>

 </div>
<div style="clear:both;"> </div>

<div style="height:70px; background:grey;"> footer Section </div>
</div>
</body>
</html>

Example 37 Program of Adding two numbers 
<html>
<head>
<title>Add two numbers </title>
</head>
<script>
const num1 = parseInt(prompt('Enter the first number '));
const num2 = parseInt(prompt('Enter the second number '));
//add two numbers
const sum = num1 + num2;

// display the sum
//console.log(`The sum of ${num1} and ${num2} is ${sum}`);
document.write("sum=" +sum);
</script>
</html>

Example 38 Adding of Three Numbers
//Adding of three numbers
<html>
<head>
<title>Add two numbers </title>
</head>
<script>
const num1 = parseInt(prompt('Enter the first number '));
const num2 = parseInt(prompt('Enter the second number '));
const num3 = parseInt(prompt('Enter the third number '));

//add two numbers
const sum = num1 + num2 + num3;

// display the sum
//console.log(`The sum of ${num1} and ${num2} is ${sum}`);
document.write("sum=" +sum);
</script>
</html>


Example 39 Create Table  

PROJECT WORK

NAME      :       RAM

COURSE   :       PGDCA/DCA

MO. NO.  :       91******00

CODING

<Html>

<Head>

<Title>PURCHASE  GST INVOICE SUNDRY CREDITORS</Title>

</Head>

<Body bgcolor="lightblue">

<b>Specifying rowspan and colspan attributes ! </b>

<br><br><Br>

<center>

<table border=1 cellpadding=3 align=center>

<tr>

 <TD BGCOLOR="YELLOW"> Bills No </td>

<TD BGCOLOR="YELLOW"> Party Name</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">Group</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">Items Name</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">GST Rate</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">Quantity</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">Rate</td>

<TD BGCOLOR="YELLOW">Remark</td>

<tr align=center>

<td>1

<td>Raj Computer State-UP

<td>Computer Parts

<td>

Mouse

<br>

Keyboard

<br>

USB Hub

<br>

Moniter

<td>

18%

<br>

18%

<br>

18%

<br>

18%

<td>

10pcs

<br>

10pcs

<br>

15 pcs

<br>

8 pcs

<td>

75 rs

<br>

150 rs

<br>

25rs

<br>

4500 rs

<td>

CGST 50%

<br>

SGST 50%

</tr>

<tr align=center>

<td>2

<td>Sharma pvt ltd State-UP

<td>Edigble Items

<td>

Suger

<br>

Oil

<br>

Rice

<br>

Namkeen

<td>

5%

<br>

5%

<br>

5%

<br>

5%

<td>

500 Kg

<br>

80 ltr

<br>

800 Kg

<br>

5 Kg

<td>

40 rs

<br>

90 rs

<br>

45 rs

<br>

90 rs

<td>CGST 50%

<br>

SGST 50%

</tr>

<tr align=center>

<td>3

<td>XYZ Electronics State-UP

<td>Electrical Items

<td>

Fan

<br>

LED Bulb

<br>

Table Fan

<br>

Cooler

<td>

18%

<br>

18%

<br>

18%

<br>

18%

<td>

65 Pcs

<br>

70 Pcs

<br>

14 Pcs

<br>

5Pcs

<td>

120  rs

<br>

85 rs

<br>

250 rs

<br>

2500 rs

<td>CGST 50%

<br>

SGST 50%

</tr>

<tr align=center>

<td>4

<td>Jain Stationary State-UP

<td>Stationary

<td>

Note Book

<br>

Pencil

<br>

Writing Pads

<br>

Markers

<td>

18%

<br>

12%

<br>

18%

<br>

12%

<td>

100 Pcs

<br>

150 Pkt

<br>

20 box

<br>

25 Pcs

<td>

25 rs

<br>

4 rs

<br>

25 rs

<br>

30 rs

<td>CGST 50%

<br>

SGST 50%

</tr>

<caption align=top><br>

<br>Purchase GST Invoice Sundry Creditors</b></caption>

</Tables>

</Center>

</Body>

</Html>


Visual Basic .Net Programming

 Program 1 Sum of Two Numbers Form Design for Sum of Two Numbers Coding for OK Button Dim a, b, c as integer a=textbox1.text b=textbox2.text...